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मुगल शासकों का चमेली बाग हो गया उजाड़

रायबरेली : कभी चंपा चमेली के फूलों की महक से डलमऊ का वातावरण भी खुशनुमा रहता था। लेकि

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Jan 2019 11:54 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jan 2019 11:54 PM (IST)
मुगल शासकों का चमेली बाग हो गया उजाड़
मुगल शासकों का चमेली बाग हो गया उजाड़

रायबरेली : कभी चंपा चमेली के फूलों की महक से डलमऊ का वातावरण भी खुशनुमा रहता था। लेकिन आज वो महक फैलाने वाला चमेली बाग उजाड़ हो चुका है।

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डलमऊ में मुगल शासकों ने भी लंबे समय तक राज किया। मुगलकालीन शासकों ने डलमऊ में तीन घाटों का निर्माण कराया था। जो आज देखरेख के अभाव में अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं। 18वीं शताब्दी में डलमऊ में अकाल पड़ गया था। लोग भुखमरी के कगार पर थे। जनता को इससे बचाने के लिए डलमऊ के नवाब राजा टिकैत राय ने डलमऊ बड़ा मठ के समीप कचहरी का निर्माण कराया। उसी परिसर के समीप बंजर पड़ी भूमि पर टिकैत राय के मंत्री असफुद्दौला ने फूलों के एक बाग का लगवाया था। जिसमें चम्पा, चमेली सहित अनेक प्रकार के फूल के पौधे रोपे गए थे। चमेली के पौधे अधिक होने के कारण उक्त स्थान का नाम चमेली बाग (चमेली हार) पड़ गया। यही नहीं राजा ने जनता को रोजगार देने के उद्देश्य से गंगा तट पर एक घाट का निर्माण भी कराया था। इसका नाम नाम राजा टिकैट राय रखा गया। घाट के नाम से ही टिकैटगंज मोहल्ला भी बना। 1857 में अंग्रेजों ने डलमऊ के शासक राजा नेवाज व मंत्री वाजिद अली को कैद कर रंगून भेज दिया था। उपेक्षित कुंआ भी जर्जर

इस चमेली बाग में एक कुंआ भी बनवाया गया था। जेा यहां पहुंचने वालों की प्यास बुझाता था। लेकिन, वक्त की करवट के साथ यह कुंआ भी देखरेख के अभाव में जर्जर हो गया है।


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