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ध्वस्त हुआ बाईपास, एनएचआइ को सिर्फ टोल वसूली की फिक्र

निर्बाध आवागमन के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर बाइपास बनाया गया

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 12:44 AM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 12:52 AM (IST)
ध्वस्त हुआ बाईपास, एनएचआइ को सिर्फ टोल वसूली की फिक्र
ध्वस्त हुआ बाईपास, एनएचआइ को सिर्फ टोल वसूली की फिक्र

सूर्य प्रकाश तिवारी, रायबरेली : निर्बाध आवागमन के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर बाइपास बनाया गया। बनकर तैयार हुआ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों लोकार्पित हुआ। सफर करने वालों को आस थी कि अब उनकी मंजिल आसान होगी, लेकिन कुछ ही दिनों में आशा, निराशा में बदल गई। कारण बाइपास मार्ग ध्वस्त हो गया। साथ ही इस पर बना पुल कमजोर होने के कारण दुर्घटनाओं को दावत देता दिख रहा है।इसके बावजूद एनएचएआइ को सिर्फ टोल वसूली की फिक्र है। 133.285 किमी लंबे रायबरेली-बांदा टू-लेन हाईवे का निर्माण 21 अप्रैल 2019 को शुरू हुआ था। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने यह काम मेसर्स कस्ट्रक्टोरा संजोस एसए कंपनी को दिया। लालगंज कस्बे को बचाने के लिए बाइपास बनाया। वर्ष 2018 में रायबरेली दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका लोकार्पण किया था। इसी के साथ हाईवे पर टोल वसूली भी शुरू हुई। छह महीने बाद ही बाइपास ध्वस्त हो गया। इस पर बना फ्लाइओवर भी जर्जर है। इसके चलते आवागमन ठप है। बाइपास चालू न होने के बावजूद टोल टैक्स वसूली व रोड जाम की समस्या को लेकर स्थानीय नागरिक विरोध कर रहे, लेकिन उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती साबित हो रही है। इनसेट कार्रवाई के नाम पर दोबारा निर्माण एनएचएआइ की साख पर बट्टा लगाने वाली कार्यदायी संस्था के खिलाफ कार्रवाई हुई। उसे निजी खर्च पर पुन: बाइपास का ओवरब्रिज बनाने के आदेश दिए गए। इलाके के लोगों का कहना है कि कंपनी की लापरवाही कई बार सामने आ चुकी है तो उससे दोबारा काम लेना कहां तक उचित है। इनकी भी सुनें लालगंज बाइपास के ब्रिज में कुछ तकनीकी खामी थी। इसे रेलवे के नियमों के अनुरूप ही बनाया गया था। कुछ तकनीकी मुद्दे सामने आ गए। इस पर संबंधित कंपनी को दोबारा निर्माण कराने के लिए कहा गया है। आरवी सिंह

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परियोजना निदेशक, एनएचएआइ


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