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बीमा कंपनी का पता नहीं, प्रीमियम काटने की तैयारी

रायबरेली खरीफ सीजन में किसानों की फसलों का बीमा होना है। जिसके लिए केसीसी धारकों के

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 11:25 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jul 2020 06:10 AM (IST)
बीमा कंपनी का पता नहीं, प्रीमियम काटने की तैयारी
बीमा कंपनी का पता नहीं, प्रीमियम काटने की तैयारी

रायबरेली : खरीफ सीजन में किसानों की फसलों का बीमा होना है। जिसके लिए केसीसी धारकों के अलावा अन्य किसान भी अपनी फसलों का बीमा कराते थे। लेकिन, इस बार अभी तक यह तय नहीं हो सका कि कौन सी कंपनी फसलों का बीमा करेगी। जबकि खाते से प्रीमियम काटने की तैयारी शुरू हो गई है।

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खरीफ की फसल के बीमा एक अप्रैल से 31 जुलाई तक किया जाता है। अंतिम तारीख को मात्र नौ दिन शेष बचे हैं। लेकिन अभी तक कंपनी तय नहीं हुई है। नौ दिनों में ही फसल बीमा की औपचारिकताएं पूरी होनी है। आम तौर पर गांव में गोष्ठी या अन्य माध्यमों से किसानों को फसल बीमा के प्रति जागरूक किया जाता था। जिससे केसीसी धारक के अलावा अन्य किसान भी जानकारी होने पर अपनी फसल का बीमा करा लेते थे। लेकिन, इस बार सामान्य किसान (जो केसीसी धारक नहीं) बीमा कंपनी तय न होने से असमंजस की स्थिति में है। उन्हें डर सता रहा है कि कंपनी का पता नहीं बीमा करा ले और उनका नुकसान हो जाए तो कहीं उनकी क्षतिपूर्ति मिलने में समस्या न खड़ी हो जाए।

इस बार बदले नियम

केसीसी धारक होने पर फसल बीमा अनिवार्य रूप से होता था। जिसमें बैंक खाते से प्रीमियम कट जाता था। किसानों का नुकसान हो या न हो, उन्हें प्रीमियम देना ही होता था। लेकिन, इस बार नियमों में बदलाव किया गया। केसीसी धारक या अन्य जो किसान फसल बीमा नहीं कराना चाहते। वह 24 जुलाई के पहले बैंक को लिखकर दे। ताकि बैंक उनका प्रीमियम न काटे।

पिछले वर्ष 82351 किसानों ने कराया था बीमा

पिछले वर्ष खरीफ फसल में जिले के 82351 किसानों का बीमा हुआ था। जिनके खाते से प्रीमियम के रूप में आठ करोड़ 56 लाख रुपये काटे गए थे। जिसमें 13231 किसानों का नुकसान हुआ था। इसमें 2.56 करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति किसानों को दी गई।

कोट

बीमा कंपनी अभी तय नहीं हो सकी है। एक दो दिन में हो जाएगा। लेकिन, केसीसी धारकों को बीमा नहीं कराना हो तो बैंक को जानकारी दें। सूचना न देने पर 24 तारीख के बाद उनके खाते से प्रीमियम काट लिया जाएगा। अन्य किसान जो बीमा कराना चाहते हैं, वह भी बैंक में जाकर औपचारिकता पूरी करें।

-हरिनारायन सिंह, उपकृषि निदेशक


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