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.. ये हैं वीर रस की वीरांगना 'शीलू सिंह राजपूत'

खीरों (रायबरेली) जिस पर एकाधिकार पुरुषों का था। उस आल्हा गायन की वीर रस की वीरांगना

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 11:42 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jan 2020 06:09 AM (IST)
.. ये हैं वीर रस की वीरांगना 'शीलू सिंह राजपूत'
.. ये हैं वीर रस की वीरांगना 'शीलू सिंह राजपूत'

खीरों (रायबरेली): जिस पर एकाधिकार पुरुषों का था। उस आल्हा गायन की वीर रस की वीरांगना बन गई हैं शीलू। आल्हा सम्राट लल्लू वाजपेयी ने उन्हें पहले तो सिखाने से मना कर दिया। मगर, शीलू की जिजीविषा और संकल्प देख उन्होंने उसे आल्हा में पारंगत किया। शीलू देखते ही देखते आल्हा के मंचों पर छा गईं। आज के दिन इस विधा के गायकों में उसका बड़ा नाम है। उनके कई एलबम रिलीज हो चुके हैं। बहुत से अवार्ड वह जीत चुकी हैं।

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खीरों के लकुशाहार निवासी शीलू सिंह राजपूत किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं। वर्ष 2010 में जब वह कस्बा खीरों के श्री सरस्वती इंटर कॉलेज में इंटर की छात्रा थीं, तब उन्होंने संजो बघेल की धुन पर आल्हा गायन शुरू किया। इसकी प्रेरणा उन्हें विद्यालय के शिक्षकों से मिली। वह राष्ट्रीय पर्वों पर विद्यालय के कार्यक्रमों में भाग लेती थीं। इसी बीच सेमरी के बरभनहार गांव के हनुमान मंदिर में उन्होंने आल्हा सम्राट लल्लू वाजपेयी का आल्हा गायन सुना। जिससे प्रभावित होकर उनके मन में आल्हा गायन के क्षेत्र में जाने की लालसा पैदा हुई। वह अपने पिता भगवानदीन राजपूत के साथ लल्लू वाजपेयी से मिलीं। आग्रह किया कि वह शीलू को अपनी शिष्या स्वीकार कर लें। मगर, उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि आल्हा गायन लड़कियों के बस की बात नहीं हैं। लेकिन, जब शीलू ने संजो बघेल की धुन पर आल्हा गाकर सुनाया तो वह प्रभावित हो गए। उन्होंने उसे आल्हा गायन सिखाना स्वीकार कर लिया।

मिला मंच और बदल गई जिदगी

शीलू ने वर्ष 2011 से मंच पर आल्हा गायन शुरू कर दिया। उनकी निष्ठा व लगन से कुछ ही दिनों में प्रदेश ही नहीं देश के अन्य प्रांतों में ख्याति मिलने लगी। फिर दूरदर्शन व आकाशवाणी के माध्यम से उनके कार्यक्रमों का प्रसारण शुरू हो गया। अब तक उन्हें दर्जनों अवार्ड व पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

काजोल से मिला वूमेंस ऑफ द व‌र्ल्ड अवार्ड

नई दिल्ली में एक टेलीकॉम कंपनी द्वारा 15 फरवरी 2014 को प्रसिद्ध अभिनेत्री काजोल के हाथों वूमेंस ऑफ द व‌र्ल्ड अवार्ड से सम्मानित कराया गया। 20 दिसंबर 2015 को प्रदेश गौ कनेक्शन समिति द्वारा स्वयं नामक अवार्ड देकर सम्मानित किया गया। नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर के नारी सम्मलेन में 20 मार्च 2016 को उन्हें नारी सशक्तीकरण सम्मान से नवाजा गया। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शीलू के गायन से प्रभावित होकर 8 मार्च 2016 को एक लाख की नकद राशि व प्रतीक चिह्न देकर लक्ष्मीबाई वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया। 24 जनवरी 2018 को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) द्वारा उनको यूपी रेश अवार्ड देकर सम्मानित किया जा चुका है।

इनसेट

शिक्षा - स्नातक

उम्र - 23

एलबम- माड़वगढ़ की लड़ाई, सिरसागढ़ की लड़ाई, इंदल हरण बलक बुखारा की लड़ाई, आल्हा का ब्याह यानी नयनागढ़ की लड़ाई, मंगल पांडे का इतिहास, चंद्रशेखर आजाद का इतिहास, झांसी की रानी की कहानी।


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