कोई गैर नहीं ये सब हैं अपने..
रायबरेली बच्चों का हाथ महिलाओं के साथ पीठ पर बोझा लादे सड़कों के किनारे जा रह
रायबरेली : बच्चों का हाथ, महिलाओं के साथ पीठ पर बोझा लादे सड़कों के किनारे जा रहे लोग कोई गैर नहीं हैं। बल्कि अपने ही हैं। ये आए जरूर दूरदराज से हैं, लेकिन उनका नाता हम आप में से ही किसी एक से जुड़ा है। ऐसे में हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि इस कठिन घड़ी में उनका साथ कतई न छोड़े। हां सतर्कता जरूर बरतें। सुरक्षित रहकर उनकी प्यास बुझाएं, भूख मिटाएं और अफसरों को सूचना देकर इलाज भी कराएं। आपकी यह कोशिश कोरोना के खिलाफ सरकार की ओर से छेड़े गए जंग को मजबूत करेगा।
दिल्ली से परिवार के संग सिविल लाइंस पहुंचे राम बचन कहते हैं कि तीन दिन से चल रहे हैं। अभी डीह क्षेत्र में जाना है। बताते है कि वहां पर मेहनत करके किसी तरह परिवार का भरण पोषण कर रहे थे। सप्ताह भर से अधिक हो गया काम नहीं मिला। भूखे बच्चों को देखा नहीं गया। इसी तरह नोएडा में पेंटर का कार्य कर रहे जुगलाल कहते हैं कि अब तो गांव पहुंचकर ही कदम रूकेंगे। बताते है कि रास्ते में दो तीन जगह पर बिस्किट के पैकेट लोगों ने दिए। इसी के सहारे भूख मिटाते रहे। इस दौरान सभी बछरावां सीमा पर जांच की गई। इसके बाद आगे जाने दिया गया।
प्राथमिक विद्यालय में कराई व्यवस्था
शिवगढ़ ब्लॅाक के बाजितपुर मजरे देहली में 40 लोग दिल्ली से आए। सभी को विद्यालय में रोक दिया गया। यहां पर पूरी व्यवस्था की गई। बछरावां के थुलेंडी गांव में सबसे ज्यादा 42 लोग पहुंचे। सबकी थर्मल स्कैनिग के साथ अन्य जरूरी जांचें कराई गईं।
थर्मल स्क्रीनिग की नहीं व्यवस्था
डीह ब्लॉक क्षेत्र के डीह में 70, टेकारी दांदू में 65, खेतौधन में 40 लोग आ चुके हैं। ज्यादातर अपने घरों में चले गए। स्वास्थ्य टीम द्वारा पूरे परिवार को क्वारंटाइन में रहने के निर्देश दिए हैं। हालांकि यहां थर्मल स्क्रीनिग की व्यवस्था नहीं है। डलमऊ के देवन्ना गांव में 15 लोग पहुंचे। बताया कि लॉक डाउन होने से फैक्ट्रियां बंद हो गई। ग्रामीणों की सूचना पर स्वास्थ्य टीम ने परीक्षण किया। महराजगंज के हरदोई में 36, मोन में 25 लोग पहुंचे।