Gandhi Jayanti 2024: कालाकांकर के राजा ने बापू को भेंट किए थे 5500 रुपये, राष्ट्रीय आंदोलन को बढ़ावा देने में मिली थी मदद
1929 में महात्मा गांधी ने राजा कालाकांकर के राजमहल में स्वतंत्रता आंदोलन की अलख जगाई थी। उनके भावों से प्रफुल्लित होकर राजा और रानी ने उन्हें संयुक्त रूप से 55 सौ रुपये से भरी थैली दी थी। संस्कृति विभाग के क्षेत्रीय अभिलेखागार में यह यादें पत्र के रूप में सुरक्षित रखी हैं। संस्कृति विभाग के क्षेत्रीय अभिलेखागार में यह यादें पत्र के रूप में सुरक्षित रखी हैं।
अमरदीप भट्ट, प्रयागराज। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1929 में राजा कालाकांकर (प्रतापगढ़) के राजमहल में स्वतंत्रता आंदोलन की अलख जगाई थी। देश के प्रति उनके भावों से प्रफुल्लित होकर राजा और रानी ने उन्हें संयुक्त रूप से 55 सौ रुपये से भरी थैली दी थी ताकि उस धनराशि से गांधी जी विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार के राष्ट्रीय आंदोलन को बढ़ावा दे सकें।
इस संबंध में राजमहल से एक पत्र जारी हुआ और वहीं पढ़ा गया था जिसमें राजा कालाकांकर की तरफ से पांच हजार और रानी की तरफ से पांच सौ रुपये के योगदान की जानकारी है।
संस्कृति विभाग के क्षेत्रीय अभिलेखागार में यह यादें पत्र के रूप में सुरक्षित रखी हैं। राजमहल से जो पत्र जारी हुआ था वह अभिलेखागार में संरक्षित है और महात्मा गांधी से प्रेरित होकर राजा कालाकांकर ने अपने राजसी वस्त्र एक चबूतरे पर रखकर जला दिए थे, एक पत्र में इसके भी तथ्य हैं।
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2018 में प्रतापगढ़ के तत्कालीन जिलाधिकारी ने यह पत्र आदि अभिलेखागार को सौंपा था। यह जानकारी देते हुए क्षेत्रीय अभिलेखागार के प्राविधिक सहायक (इतिहास) राकेश वर्मा ने बताया कि गांधी जी ने नवजीवन पत्रिका में जिमींदार एवं ताल्लुकेदार शीर्षक से अपना एक पत्र प्रकाशित कराया था जिसमें स्वच्छता का संदेश पूरे देश को दिया गया था।
इसमें जिमींदारों के लिए कहा गया था कि वह अपनी रियाया यानी प्रजा में स्वच्छता का प्रचार प्रसार करें। दो पृष्ठ का यह पत्र भी मोहनरास कर्मचंद गांधी के हस्ताक्षर से अभिलेखागार में मौजूद है।
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