यूपी रणजी के पूर्व स्टार आशीष विंस्टन जैदी विश्वस्तरीय क्रिकेटर तैयार कर रहे, प्रयागराज के इंडोर स्टेडियम में बहा रहे पसीना
पूर्व रणजी खिलाड़ी आशीष विंस्टन जैदी प्रयागराज में अपनी इंडोर क्रिकेट अकादमी में युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षित कर रहे हैं। चाका ब्लाक में स्थित इस अकादमी में मौसम की बाधा के बिना प्रशिक्षण दिया जाता है। जैदी का लक्ष्य टेस्ट और वनडे के लिए खिलाड़ी तैयार करना है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कोच देवेश मिश्रा ने भी खिलाड़ियों को बल्लेबाजी के टिप्स दिए। जैदी अपनी गलतियों से सीखकर अपने छात्रों को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

गेंदबाज शिवम को गेंद रिलीज करने की तकनीक सिखाते पूर्व रणजी खिलाड़ी आशीष विस्टन जैदी व इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व क्रिकेट कोच देवेश मिश्रा। जागरण
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। कभी उत्तर प्रदेश की रणजी टीम के लिए गेंद से कहर बरपाने वाले आशीष विंस्टन जैदी अब मैदान के बाहर नई जंग लड़ रहे हैं। इस बार उनकी गेंदें नहीं, अनुभव और जुनून बोल रहा है। पूर्व दिग्गज तेज गेंदबाज ने चाका ब्लाक में अपनी इंडोर क्रिकेट अकादमी शुरू कर दी है और खुद युवा खिलाड़ियों को तराशने में जुट गए हैं।
बोले जैदी- असली क्रिकेट टेस्ट और वनडे में है
सुबह सात बजे से रात नौ बजे तक अकादमी में गूंजती गेंद-बैट की आवाज बता रही है कि यहां सिर्फ खेल नहीं, भविष्य तैयार हो रहा है। जैदी का कहना है, टी-20 के लिए तो बच्चे तैयार हो रहे हैं, लेकिन असली क्रिकेट टेस्ट और वनडे में है। हमें ऐसे खिलाड़ी चाहिए जो विराट कोहली, रोहित शर्मा या जसप्रीत बुमराह के सामने भी डटकर खेल सकें।
तेज धूप हो या बारिश, ट्रेनिंग नहीं रुकती
इंडोर अकादमी की खासियत है कि यहां मौसम कभी बाधा नहीं बनता। तेज धूप हो या बारिश, ट्रेनिंग नहीं रुकती। हाई क्वालिटी मैटिंग विकेट पर गेंदबाजों को अलग-अलग लाइन-लेंथ डालने की प्रैक्टिस कराई जाती है। बल्लेबाजों के लिए सबसे बड़ा हथियार है बोलिंग मशीन। यह मशीन 80 से 150 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार से गेंद फेंकती है। स्विंग, सीम, स्पिन, यार्कर, बाउंसर हर तरह की गेंद का सामना कराया जाता है। जैदी बताते हैं कि इन गेंदों को कैसे खेलना है। एक बार में 30 गेंदें खेलने का लक्ष्य रहता है ताकि खिलाड़ी की नजर और रिएक्शन टाइम स्टिल जैसा हो जाए।
देवेश मिश्र ने खिलाड़ियों को दिए टिप्स
बल्लेबाजी में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कोच और क्रिकेट के महागुरु कहे जाने वाले देवेश मिश्रा भी एकडमी पहुंचे। उन्होंने क्रिकेटरों को स्टांस, ग्रिप, बैकलिफ्ट, फुटवर्क को बारीकी से सुधारा। मशीन से आती तेज गेंद पर ड्राइव, कट, पुल की तकनीक बताई। देवेश मिश्रा कहते हैं, शतक लगाओ, पांच विकेट लो, फिर दोहराओ, फिर दोहराओ… जब तक भारत के लिए न खेल लो, यही मंत्र है।
मुझसे जो गलतियां हुईं, मेरे बच्चों से नहीं होंगी
वर्ष 1999-2000 में रणजी ट्राफी में 49 विकेट लेने वाले जैदी को भारतीय टीम में खेलना था, लेकिन किसी कारण चयन नहीं हुआ। आज वही दर्द उनकी प्रेरणा है। जैदी कहते हैं, “यो-यो टेस्ट में 19-20 तक पहुंचना है, एक दिन में 90 ओवर फील्डिंग करनी है, तब जाकर चयनकर्ता नजर डालेंगे। मुझसे जो गलतियां हुईं, मेरे बच्चों से नहीं होंगी। मैं अपना सब कुछ इनके पीछे लगा दूंगा।

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