सहायक अध्यापक को मृत्यु के साल भर बाद बर्खास्त किए जाने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट हैरान, बेसिक शिक्षा निदेशक से मांगा हलफनामा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सहायक अध्यापक को मृत्यु के एक साल बाद बर्खास्त करने पर हैरानी जताई है। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा निदेशक से हलफनामा मांगा है और व्यक्त ...और पढ़ें

इलाहाबाद हाई कोर्ट सहायक अध्यापक की मृत्यु के बाद बर्खास्तगी पर निदेशक से स्पष्टीकरण मांगा है।
विधि संवाददाता, जागरण, प्रयागराज। मृत्यु के साल भर बाद दिवंगत सहायक अध्यापक के खिलाफ विभागीय कार्यवाही और बर्खास्तगी जैसे कदम पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हैरानी जताई है। अधिकारियों से इस तरह के आदेश पर स्पष्टीकरण मांगा है। निदेशक बेसिक शिक्षा को एक सप्ताह में हलफनामा देने का निर्देश देते हुए चेतावनी दी है कि यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया तो उन्हें अगली सुनवाई तिथि पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा। प्रकरण में अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।
मृत व्यक्ति के खिलाफ जांच शुरू नहीं की जा सकती
न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की एकलपीठ ने दिवंगत अध्यापक मुकुल सक्सेना की विधवा प्रीति सक्सेना की याचिका पर सुनवाई करते हुए निदेशक बेसिक शिक्षा को यह बताने का निर्देश दिया कि उन्होंने कानून के किन प्रावधानों के तहत मृत कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया। साथ ही उन शिक्षा अधिकारियों के रवैये पर हैरानी जताई, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के कारण सहायक अध्यापक की मौत के एक साल से ज्यादा यादा समय बाद उसकी बर्खास्तगी की कार्रवाई शुरू की। कोर्ट ने कहा कि मृत व्यक्ति के खिलाफ जांच शुरू नहीं की जा सकती।
प्राइमरी स्कूल में सहायक अध्यापक थे मुकुल सक्सेना
मुकदमे से जुड़े तथ्य यह हैं कि मुकुल सक्सेना प्राइमरी स्कूल में सहायक अध्यापक थे। मई 2021 में कोविड-19 के कारण उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के बाद याची को परिवारिक पेंशन मिलने लगी, जो नवंबर 2022 तक जारी रही। उसके बाद फर्रुखाबाद के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने पेंशन अचानक रोक दी। ऐसा करने के लिए उन्होंने बेसिक शिक्षा निदेशक के 18 जुलाई 2022 के पत्र का हवाला दिया, जिसमें मृत कर्मचारी की सेवाओं को समाप्त करने का निर्देश था।
बीएसए के वकील ने क्या दिया तर्क?
दिसंबर 2022 में एडिशनल डायरेक्टर ट्रेजरी और पेंशन कानपुर मंडल ने याची की पारिवारिक पेंशन रोकने का आदेश किया था। बीएसए के वकील ने कहा कि याची के पति ने जाली दस्तावेज जमा कर नियुक्ति प्राप्त की थी और उनकी नियुक्ति को शुरुआती नियुक्ति की तारीख से ही अमान्य माना गया।कोर्ट ने कहा कि ऐसा कुछ भी रिकॉर्ड पर नहीं लाया गया, जिससे यह पता चले कि इन कार्रवाई से पहले किसी भी अधिकारी ने नियुक्ति को अमान्य घोषित करने वाला कोई आदेश पारित किया है।
यह बहुत हैरान और अचंभित करने वाला है
कोर्ट ने कहा कि डायरेक्टर vkफ एजुकेशन (बेसिक) को ही पता होगा कि उन्होंने दिवंगत व्यक्ति को नौकरी से निकालने की कार्यवाही क्यों शुरू की, जबकि यह तय कानून है कि मरे हुए इंसान के खिलाफ कोई जांच शुरू नहीं की जा सकती। कोर्ट ने कहा कि यह बहुत हैरान और अचंभित करने वाला है कि किन हालात में जुलाई 2022 में कर्मचारी के खिलाफ यह पत्र लिखा गया जबकि मई 2021 में ही उसकी मृत्यु हो गई थी।

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