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दंपती के तलाक केस में कोई तीसरा नहीं बन सकता पक्षकार: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Allahabad High Court इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि वैवाहिक विवाद दंपती के बीच रहता है तीसरे पक्ष का कोई सरोकार नहीं होता। हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 बी के तहत तलाक की कार्यवाही में किसी अन्य को पक्षकार बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती। हाईकोर्ट ने कहा कि यद्यपि तलाक से पक्षकारों के कुछ नागरिक अधिकार बदल सकते हैं।

By Jagran News Edited By: Abhishek Pandey Updated: Tue, 01 Oct 2024 07:57 AM (IST)
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दंपती के तलाक केस में कोई तीसरा नहीं बन सकता पक्षकार: इलाहाबाद हाईकोर्ट

विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि वैवाहिक विवाद दंपती के बीच रहता है, तीसरे पक्ष का कोई सरोकार नहीं होता। हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 बी के तहत तलाक की कार्यवाही में किसी अन्य को पक्षकार बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह तथा न्यायमूर्ति डोनादी रमेश की खंडपीठ ने कृति गोयल की अपील स्वीकार करते हुए की है।

खंडपीठ ने कहा, वैवाहिक विवाद उस जोड़े के बीच का विवाद ही रहता है, जो अपने वैवाहिक रिश्ते में मुश्किलें महसूस कर रहे हों। प्रतिवादी, जो पक्षकारों (पति और पत्नी) के लेनदार थे, उन्होंने सहमति से तलाक के लिए दायर की गई कार्यवाही में पक्षकार बनने की मांग की थी। प्रतिवादियों ने दलील दी कि चूंकि उन्हें पैसे मिलने थे, इसलिए उन्हें लगा कि पक्षों के बीच अलगाव से उनके अधिकारों पर असर पड़ेगा।

पत्नी ने दाखिल की थी अपील

पत्नी ने प्रधान न्यायाधीश परिवार अदालत, अलीगढ़ के उस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दाखिल की थी जिसमें तीसरे को पक्षकार बनाने की अनुमति दी गई थी। हाई कोर्ट ने कहा कि यद्यपि तलाक से पक्षकारों के कुछ नागरिक अधिकार बदल सकते हैं, लेकिन आपसी सहमति से तलाक की कार्यवाही में तीसरे पक्ष को कभी भी पक्ष नहीं बनाया जा सकता।

हाई कोर्ट ने अपील यह कहते हुए मंजूर कर ली कि विवाह विच्छेद के बाद भी प्रतिवादी अपने दावों के हकदार बने रहेंगे।

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