इसाई बनने वाले को अनुसूचित जाति का फायदा नहीं मिलना चाहिए, डीएम करें कार्रवाई, इलाहाबाद हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि इसाई बनने वाले व्यक्ति को अनुसूचित जाति (एससी) का लाभ नहीं मिलना चाहिए, क्योंकि इसाई धर्म में जाति व्यवस्था नहीं है। कोर्ट ने इसे संविधान के साथ धोखाधड़ी बताया और जिलाधिकारियों को ऐसे मामलों में कार्रवाई करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने महाराजगंज निवासी जितेंद्र साहनी की याचिका खारिज कर दी, जिन्होंने हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ आपत्तिजनक बातें की थीं। न्यायालय ने कहा कि एससी/एसटी अधिनियम का लाभ धर्म परिवर्तन के बाद नहीं मिलता।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाई कोर्ट ने महराजगंज निवासी व्यक्ति की याचिका खारिज करते हुआ अहम फैसला दिया है।
प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि प्रदेश में जो कोई भी इसाई बन गया है, उसे अनुसूचित जाति का फायदा नहीं मिलना चाहिए। ऐसे मामलों को 'संविधान के साथ धोखाधड़ी' बताते हुए न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की एकल पीठ ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह चार महीने में ऐसे मामलों में कार्रवाई करें।
एससी का फायदा सिर्फ हिंदू, सिख व बौद्धों को ही
बता दें कि अनुसूचित जाति (एससी) का फायदा सिर्फ हिंदुओं, सिखों और बौद्धों को मिलता है, उन लोगों को नहीं मिलता जो धर्म बदलकर फायदे लेते हैं। महराजगंज निवासी जितेंद्र साहनी की याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा है कि इसाई धर्म अपनाने वाले अनुसूचित जाति के व्यक्ति को एससी का लाभ लेना जारी रखना "संविधान पर धोखा" है। इसाई धर्म में जाति व्यवस्था नहीं होती, इसलिए ऐसे व्यक्ति एससी का सदस्य नहीं रहते।
एकलपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का दिया हवाला
एकलपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के सी. सेल्वेरानी (C. Selvarani) मामले में दिए गए निर्णय का भी हवाला दिया है, जिसमें धर्मांतरण को केवल लाभ के लिए "संविधान पर धोखा" बताया गया है। ग्राम मथानिया लक्ष्मीपुर एकडंगा याची ने अपने खिलाफ सिंदूरिया थाने में दर्ज एफआइआर रद करने की मांग की थी जो हिंदू देवताओं का अपमान और शत्रुता भड़काने के आरोप में दर्ज हुई है।
गवाह ने इस बात की पुष्टि की
गवाह लक्ष्मन विश्वकर्मा ने इस बात की पुष्टि की कि जितेंद्र साहनी हिंदू धर्म के देवी-देवताओं के लिए आपत्तिजनक बातें करता है। उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि इसाई धर्म में जाति-आधारित भेदभाव मौजूद नहीं है और इसलिए अनुसूचित जाति का आधार धर्म परिवर्तन के बाद शून्य हो जाता है, भले ही पहले से जारी कोई जाति प्रमाण पत्र अस्तित्व में हो।
न्यायालय ने कहा...
न्यायालय ने कहा कि एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम का उद्देश्य उन समुदायों की रक्षा करना है जो ऐतिहासिक रूप से जाति-आधारित भेदभाव का सामना करते हैं। नतीजतन, इसके सुरक्षात्मक प्रावधान उन लोगों तक नहीं बढ़ाए जा सकते जिन्होंने किसी अन्य धर्म को अपना लिया है, जिसमें जाति व्यवस्था को मान्यता नहीं है।
कोर्ट ने डीएम महाराजगंज को जांच के दिए निर्देश
कोर्ट ने डीएम महाराजगंज को याची के धर्म संबंध मामले की तीन महीने के भीतर जांच करने का निर्देश दिया है। कहा है यदि याची जालसाजी का दोषी पाया जाता है तो कानून के अनुसार उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस न्यायालय के समक्ष झूठे हलफनामे दायर न किए जा सकें। याची ने हलफनामे में खुद को हिंदू बताया था।

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