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    इलाहाबाद हाई कोर्ट फर्द में युवती की हिरासत को ‘कब्जे में लेने’ के उल्लेख पर गंभीर, दिया यह निर्देश

    By Jagran News Edited By: Brijesh Srivastava
    Updated: Tue, 02 Dec 2025 05:30 PM (IST)

    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुजफ्फरनगर में पुलिस द्वारा युवती की हिरासत को कब्जे में लेने के उल्लेख पर गंभीर आपत्ति जताई है। कोर्ट ने कहा कि इंसानों के लिए ...और पढ़ें

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    युवती की हिरासत को कब्जे में लेने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई है। 

    विधि संवाददाता, जागरण, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुजफ्फरनगर में पुलिस की फर्द में युवती की हिरासत को ‘कब्जे में लेने’ का उल्लेख किए जाने को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने इस बात पर कड़ी आपत्ति जताई है कि उप्र पुलिस ने फर्द या पजेशन का ऐसा मेमो तैयार किया, जिसमें दावा किया गया कि उसे ‘कब्जा’ में लिया जा रहा था ताकि यह दिखाया जा सके कि उसे ‘अरेस्ट’ नहीं किया है।

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    न्यायमूर्ति जेजे मुनीर और न्यायमूर्ति संजीव कुमार की पीठ ने मुजफ्फरनगर की सानिया और अन्य की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका निस्तारित करते हुए यह नाराजगी व्यक्त की। खंडपीठ ने कहा, ‘कब्जा’ ऐसा शब्द है, जो कानूनी और आम बोलचाल में अंग्रेजी शब्द ‘पजेशन’ के सबसे करीब है। इसका इस्तेमाल इंसानों के लिए नहीं, बल्कि संपत्ति के लिए किया जाता है।

    पूर्व में इसी मामले में हुई सुनवाई में कोर्ट ने कहा था, ‘ 21 वीं सदी में आज के समाज का कोई आदमी जो पुलिस में काम करता है, यह सोच सकता है कि किसी इंसान को मेमोरेंडम ऑफ पजेशन या फर्द के आधार पर कब्जा किया जा सकता है, इससे हमें लगता है कि कम से कम इस कार्य में शामिल लोग ड्रेड स्कॉट बनाम सैंडफोर्ड, 60 U.S. 393 (1856) के दिनों से बहुत आगे नहीं बढ़े हैं।’ ड्रेड स्कॉट बनाम सैंडफोर्ट केस में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि गुलाम बनाए गए लोग यूनाइटेड स्टेट्स के नागरिक नहीं थे। इसलिए उन्हें फेडरल सरकार या कोर्ट से किसी भी सुरक्षा की उम्मीद नहीं करनी चाहिए थी।

    मुकदमे से जुड़े संक्षिप्त तथ्य यह हैं कि सानिया ने विकास उर्फ रामकृष्ण से अपनी मर्जी से शादी की थी। दोनों अलग अलग धर्म के हैं। सानिया के परिवार वालों ने उसे नाबालिग बताते हुए उसके अपहरण का मुकदमा नई मंडी थाने में दर्ज कराया था। इस पर विकास को पुलिस ने जेल भेज दिया। वह जमानत पर रिहा हुआ। सानिया को पुलिस ने नारी संरक्षण गृह में भेज दिया था। उसे वहां से रिहा कराने के लिए हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की गई।

    सुनवाई के दौरान लड़की के पिता ने स्कूल के रिकॉर्ड के आधार पर जिसमें उसकी जन्मतिथि 25 अप्रैल, 2009 दिखाई , आरोप लगाया कि वह नाबालिग (17 साल की) है और उसका अपहरण किया गया है। हालांकि कोर्ट ने मेडिको-लीगल सर्टिफिकेशन के आधार पर उसे बालिग पाया और अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ जाने की अनुमति दे दी। सानिया से पूछा था कि वह किसके साथ रहना और जाना चाहती थी तो उसने कहा था कि वह विकास के साथ रहना चाहती है। उसने खंडपीठ को यह भी बताया था कि उसे सहारनपुर स्थित नारी निकेतन से लाया गया है।