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    इलाहाबाद हाई कोर्ट का जमीन बैनामा निरस्त करने के मामले में फैसला, सिविल कोर्ट को ही है ये अधिकार

    Updated: Fri, 26 Jan 2024 09:26 AM (IST)

    Allahabad High Court याची ने विपक्षी से अप्रैल 2012 में 59 लाख रुपये में प्लाट खरीदने का सौदा किया। याची ने प्रतिवादी को पांच लाख रुपये बतौर एडवांस दि ...और पढ़ें

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    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने की जमीन बैनामा निरस्त करने की याचिका खारिज

    विधि संवाददाता, प्रयागराज। Allahabad High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी संपत्ति के विक्रय का बैनामा निरस्त करने का अधिकार केवल सिविल कोर्ट को है। इसके लिए सिविल वाद दायर किया जा सकता है। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने गोरखपुर के सफी अहमद खान की निगरानी याचिका की सुनवाई करते हुए की है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है।

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    कोर्ट ने कहा, किसी संपत्ति के स्वामित्व का अंतरण किसी मूल्य के भुगतान के बदले या आंशिक भुगतान अथवा भुगतान के वादे के साथ भी किया जा सकता है। यदि भुगतान पूरा नहीं हुआ है और दस्तावेज रजिस्टर्ड कर लिया गया है तथा संपत्ति का मूल्य 100 रुपये से अधिक हो तो विक्रय पूरा माना जाएगा।

    कोर्ट ने कहा, विक्रय के लिए संपत्ति के स्वामित्व का एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को स्थानांतरित होना अनिवार्य है। प्रॉपर्टी के सभी अधिकार व हित एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को अंतरित होने चाहिए। अंतरण में संपत्ति के किसी एक हिस्से पर अधिकार या हित को विक्रेता द्वारा अपने पास सुरक्षित नहीं रखा जा सकता। अन्यथा यह विक्रय पूर्ण नहीं होगा।

    यह है मामला

    याची ने विपक्षी से अप्रैल 2012 में 59 लाख रुपये में प्लाट खरीदने का सौदा किया। याची ने प्रतिवादी को पांच लाख रुपये बतौर एडवांस दिया और शेष राशि चेक से दी। नौ जुलाई 2012 को प्रतिवादी ने सेल डीड रजिस्टर्ड करा दी, लेकिन इसके बाद याची द्वारा दिए गए सभी चेक बाउंस हो गए। प्रतिवादी ने बैनामा निरस्त करने के लिए सिविल कोर्ट में सिविल सूट दाखिल किया।

    याची की ओर से सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश सात नियम 11 के तहत प्रार्थना पत्र देकर कहा गया कि विक्रय की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। प्रतिवादी सिर्फ भूमि के मूल्य की मांग कर सकता है। वह बैनामा निरस्त करने की मांग नहीं कर सकता। यह भी कहा गया कि सिविल सूट में बैनामा निरस्त नहीं कराया जा सकता क्योंकि यह उत्तर प्रदेश रेवेन्यू कोड से बाधित है।

    सिविल कोर्ट ने प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया। इसके बाद उसने निगरानी दाखिल की। निगरानी न्यायालय ने भी याची का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया। इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।

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    कोर्ट ने कहा, बैनामा निरस्त करने के लिए सिविल सूट उचित प्रक्रिया है लेकिन संपत्ति का विक्रय पूरा हुआ है या नहीं तथा संपत्ति पर कब्जा किस पक्ष का है, इन तथ्यात्मक प्रश्नों को विचारण न्यायालय में ही सुलझाया जा सकता है।

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