ट्राली बनवाने में मानकों को कर रहे तार-तार
ट्रैक्टर से होने वाले हादसों की बड़ी वजह उसकी मानक विहीन ट्राली और उस पर हो रही ओवरलोडिंग है। ट्रैक्टर तो ब्रांडेड कंपनी के होते हैं पर ट्राली लोग निजी तौर पर बनवाते हैं। इसका पूरा फायदा उठाते हुए अधिकांश ट्रैक्टर संचालक अपनी सुविधा के अनुसार उसका आकार तय करते हैं। इस पर जागरण ने पड़ताल की तो पता चला कि दरअसल ट्रैक्टर की ताकत का निर्धारण सिलेंडर और हार्स पावर के अनुसार होता है।
जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़ : ट्रैक्टर से होने वाले हादसों की बड़ी वजह उसकी मानक विहीन ट्राली और उस पर हो रही ओवरलोडिंग है। ट्रैक्टर तो ब्रांडेड कंपनी के होते हैं, पर ट्राली लोग निजी तौर पर बनवाते हैं। इसका पूरा फायदा उठाते हुए अधिकांश ट्रैक्टर संचालक अपनी सुविधा के अनुसार उसका आकार तय करते हैं। इस पर जागरण ने पड़ताल की तो पता चला कि दरअसल ट्रैक्टर की ताकत का निर्धारण सिलेंडर और हार्स पावर के अनुसार होता है। एक ट्राली बनवाने की कीमत लगभग एक लाख से डेढ़ लाख तक आती है। ट्राली को छोटे बड़े ट्रैक्टर आसानी से ले जा सकते हैं। चार सिलेंडर तक वाले ट्रैक्टर अधिक लोड ढोने में सक्षम होते हैं। खेतों की जुताई के लिए आम तौर पर तीन सिलेंडर वाले ट्रैक्टर यूज किए जाते हैं। यह 30 से 45 हार्सपावर तक के होते हैं। टेंट वाले अक्सर दो सिलेंडर वाले ट्रैक्टर लेते हैं। उसी अनुसार उनकी ट्राली हल्की होती है।
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आकार में कमाई
रेत और बालू की ढुलाई करने वाले ट्रैक्टर मालिकों की ट्राली की क्षमता आमतौर पर 70 घन फीट से लेकर 85 घन फीट तक की होती है। हालांकि उनका दावा 100 फीट की ट्राली का होता है। इससे वह बड़े आराम से कमाते हैं। दूसरी तरफ भट्टे पर ईंट ढोने वाले ट्रैक्टर मालिक तथा खेती किसानी में ट्रैक्टर चलाने वाले मालिकों की ट्राली की क्षमता 100 से 125 घन फीट की होती है।
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गड़वारा के अरुण कुमार के पास बहुत दिन से ट्रैक्टर है। उनसे बात की गई तो कहने लगे कि किसान ट्राली के आकार में खेल नहीं करते। वह मानक पर चलते हैं। जो लोग व्यापार करते हैं वह जरूर करते हैं। मसलन मेरी ट्राली सिगल धुरी पर है। दो सिलेंडर वाले ट्रैक्टर से चल जाती है। हम इसके बारे में जानते हैं। यह भी तय है कि अगर क्षमता से बड़ी ट्राली जोती जाएगी तो ट्रैक्टर की जिदगी भी कम होगी।
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यह है नियम
परिवहन विभाग में ट्राली का मानक तय है। एआरटीओ सुशील कुमार मिश्र बताते हैं कि ट्राली की ऊंचाई एक मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। चौड़ाई साढ़े चार फीट होती है। इसके विपरीत ट्राली का इस्तेमाल दंडनीय होता है।