जब जिम्मेदार ही लापरवाह तो कौन माने कानून-कायदा
प्रतापगढ़ सड़कों पर सफर सुरक्षित हो वाहन और उस पर सवार दोनों महफूज हों इसके लिए जितनी सावधानी बरतने की जरूरत है उतनी हंी जिम्मेदारों को भी सतर्क रहने की आवश्यकता है जिससे लोग कानून कायदे का पालन करें।
प्रतापगढ़ : सड़कों पर सफर सुरक्षित हो, वाहन और उस पर सवार दोनों महफूज हों और अपनी मंजिल तक पहुंच सकें, इसके लिए यातायात नियमों का पालन जरूरी है। पालन करने के लिए जागरूकता के साथ कानून का भय भी होना चाहिए, लेकिन जिले के हालात दूसरे हैं। पुलिस और संभागीय परिवहन विभाग की कार्यशैली इस तरह नहीं है कि लोग नियमों का सही तरीके से पालन करें।
जिले में हाईवे पर वाहनों की कतार के दौरान हादसे आम बात हैं। कुंडा हो या पट्टी, रानीगंज हो या लालगंज। हर जगह लोगों पर रफ्तार की मार पड़ रही है। यातायात सुरक्षा के लिए नए-नए नियम तो बन रहे हैं, लेकिन उसका पालन कराने वाली पुलिस इसमें बहुत रुचि नहीं लेती। चौराहों और तिराहों पर उसकी चेकिग केवल आंकड़े बढ़ाने तक ही सीमित है। ऑनलाइन चालान सिस्टम आने के बाद पुलिस का फील्ड वर्क और कम हो गया है। कुछ चालान की कार्रवाई करके सिस्टम में अपलोड कर दिया जाता है और इसके बाद नियमों को तोड़ने की खुली छूट मिल जाती है। फिर पुलिस यह नहीं देखती कि किसने हेलमेट पहना है, किसने नहीं। कार के किस चालक ने सीट बेल्ट लगाया है, किसने नहीं। किस वाहन पर क्षमता से अधिक सवारियां लदी हैं, कौन से वाहन को नाबालिग चालक चला रहा है, यह नहीं देखा जाता। पुलिस के लोग भी बिना हेलमेट तीन-तीन सवारी चलते देखे जाते हैं।
--
नो इंट्री केवल कहने को :
परिवहन विभाग कभी-कभार ही सड़कों पर नजर आता है। यही नहीं नो इंट्री के नियम थोड़ी सी सेवा पर टूट जाते हैं। स्कूल, कालेज और कोर्ट कचहरी, बाजार के समय भी भारी वाहन तेज गति से चौक जैसे क्षेत्र से गुजरते देखे जाते हैं।
--
आखिर किसे किया जागरूक :
यातायात जागरूकता सप्ताह की कहानी भी अजब है। केवल इसका शुभारंभ और समापन ही लोग जान पाते हैं। बाकी 13 दिन पुलिस ने क्या कार्रवाई की, कहां अभियान चलाया। किसे जागरूक किया। यह पता कर पाना टेढ़ी खीर होता है। इन्हीं कारणों से हादसे रुकते नहीं हैं। हाल ही में यातायात पुलिस द्वारा चलाया गया जागरूकता पखवारा किसी के समझ में नहीं आया।