यूपी पीसीएस में बेल्हा के युवाओं का रहा दबदबा
प्रतापगढ़ यूपी पीसीएस 2016 में बेल्हा के युवाओं का दबदबा रहा। यहां के दो दर्जन युवा अफसर
प्रतापगढ़ : यूपी पीसीएस 2016 में बेल्हा के युवाओं का दबदबा रहा। यहां के दो दर्जन युवा अफसर बने हैं। इससे जहां उनके परिजनों में खुशी का माहौल है, वहीं जिले के लोग भी गदगद हैं।
कुंडा नगर पंचायत के तिलौरी मोड़ निवासी डा. वैभव त्रिपाठी पुत्र स्व. ब्रम्ह स्वरूप त्रिपाठी पीसीएस की परीक्षा पास कर समाज कल्याण अधिकारी बने हैं। इस सफलता से परिजनों एवं रिश्तेदारों में खुशी का माहौल है। डा. वैभव वर्तमान में औरेया में मार्के¨टग इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। इसके पूर्व वह जीआइसी प्रतापगढ़ व इलाहाबाद में ¨हदी प्रवक्ता के पद पर रहे। उनकी स्नातक की शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हुई थी। वैभव वर्ष 2006 में एमए ¨हदी विभाग के गोल्ड मेडलिस्ट भी रहे है। वैभव की मां ऊषा गृहणी हैं। उसकी बड़ी बहन आस्था समाज कल्याण कार्यालय प्रयागराज में एकांउटेंट है। जबकि छोटी बहन दिव्या बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से रिसर्च कर रही हैं। वैभव की शादी छह माह पूर्व दर्शना के साथ हुई है।
इसी क्रम में पुराना कुंडा निवासी डा. शिव प्रसाद त्रिपाठी के बेटे सिद्धार्थ कृष्ण त्रिपाठी का यूपी पीसीएस में ट्रेजरी अधिकारी के पद पर चयन हुआ है। वर्तमान में सिद्धार्थ कस्टम अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। इसके पूर्व सिद्धार्थ की प्राथमिक शिक्षा नगर के शांति निकेतन, हाई स्कूल व इंटर की शिक्षा प्रयागराज में हुई। इसके बाद वह तैयारी करने के लिए कोटा राजस्थान चले गए, जहां पर प्राइवेट कंपनी में काम करने के साथ तैयारी की।
कुंडा के कुशाग्र ¨सह का चयन वाणिज्य कर अधिकारी के पद पर हुआ। इसके पहले इनका चयन केंद्रीय आबकारी विभाग में आबकारी निरीक्षक के पद पर हो चुका था। इनके पिता केके ¨सह कुंडा तहसील में एडवोकेट एवं माता किरन ¨सह रानी गिरिजा देवी इंटर कालेज में शिक्षिका हैं। कुशाग्र ने बीटेक एचबीटीआइ कानपुर से करने के पश्चात सिविल सेवा में जाने का मन बनाया और सफलता अर्जित की। इनकी बहन कीर्ति ¨सह क्षेत्रीय विपणन अधिकारी के पद पर प्रयागराज में कार्यरत हैं। उधर, सेवानिवृत्ति शिक्षक गौरा के पढवा कलानी गांव निवासी श्री राम पांडेय के बेटे आशीष कुमार पांडेय ने नायब तहसीलदार के पद पर सफलता अर्जित की है। जानकारी मिली तो पिता व मां शांति देवी, बड़ा भाई सुरेश पांडेय सहित परिजन खुशी से झूम उठे। आशीष ने जागरण से दूरभाष पर बताया कि उनको तीसरे प्रयास में यह सफलता मिली है। इस सफलता का श्रेय वह अपने माता-पिता व गुरूजन भाई व परिवार को देते हैं। आशीष की तीन बड़ी बहनें हैं।