बोले शिक्षक : यूपी बोर्ड को और कम करना चाहिए पाठ्यक्रम
यूपी बोर्ड ने कक्षा नौ दस 11 व 12 के पाठ्यक्रम में 30 फीसद कटौती की है जबकि सीबीएसई बोर्ड ने 45 फीसद पाठ्यक्रम कम करने का निर्देश दिया है। बोर्ड ने 30 फीसद कम करके पाठ्यक्रम जारी कर दिया है। शिक्षकों व प्रधानाचार्यो का कहना है कि आनलाइन पढ़ाई से काफी कम बच्चे जुड़ सके हैं। इससे पढ़ाई काफी कम हो सकी है। ऐसे में बोर्ड को पाठ्यक्रम में और कटौती करनी होगी। जागरण ने जिले के शिक्षकों व प्रधानाचार्यों से बातचीत की। उनका कहना था कि कम से कम दस फीसद पाठ्यक्रम और कम करना चाहिए।
संवादसूत्र, प्रतापगढ़ : यूपी बोर्ड ने कक्षा नौ, दस, 11 व 12 के पाठ्यक्रम में 30 फीसद कटौती की है, जबकि सीबीएसई बोर्ड ने 45 फीसद पाठ्यक्रम कम करने का निर्देश दिया है। बोर्ड ने 30 फीसद कम करके पाठ्यक्रम जारी कर दिया है। शिक्षकों व प्रधानाचार्यो का कहना है कि आनलाइन पढ़ाई से काफी कम बच्चे जुड़ सके हैं। इससे पढ़ाई काफी कम हो सकी है। ऐसे में बोर्ड को पाठ्यक्रम में और कटौती करनी होगी। जागरण ने जिले के शिक्षकों व प्रधानाचार्यों से बातचीत की। उनका कहना था कि कम से कम दस फीसद पाठ्यक्रम और कम करना चाहिए। ------
सीबीएसई बोर्ड ने 45 फीसद पाठ्यक्रम कम किया है। यूपी बोर्ड को भी इसी तर्ज पर पाठ्यक्रम कम करना चाहिए। कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई बाधित हुई है। अब दो माह से आफ लाइन पढ़ाई चल रही है। इससे पाठ्यक्रम पूरा होना संभव नहीं लगता।
-फादर आनंद कुमार जान, प्रधानाचार्य संत अंथोनी इंटर कालेज
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यूपी बोर्ड ने कक्षा नौ से 12 तक 30 फीसद पाठ्यक्रम कम किया है। यदि मार्च में परीक्षा होती है तो 70 फीसद पाठ्यक्रम पूरा होना संभव नहीं लगता। ऐसे में और पाठ्यक्रम कम करना चाहिए, जिससे बच्चों का नुकसान न हो। वैसे कोर्स पूरा कराने का प्रयास किया जा रहा है।
-राजकुमार सिंह, प्रधानाचार्य जीआइसी
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मेरे विचार से यदि मार्च में परीक्षा होती है तो कम से कम 10 फीसद और पाठ्यक्रम कम होना चाहिए। इसका कारण यह है कि मध्य नवंबर में कक्षाएं ऑफलाइन शुरू हुई हैं और सभी बच्चे अभी तक अपने आप को पढ़ाई को सुव्यवस्थित नहीं कर पाए हैं। सिलेबस कम होने से छात्र उसे रिवीजन भी आसानी से कर पाएंगे।
नितिन कुमार गोयल, शिक्षक अष्टभुजा विद्या निकेतन इंटर कॉलेज
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विज्ञान का पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है। ऑनलाइन सभी विद्यार्थी नहीं पढ़ पाए थे। इसीलिए ऑफ लाइन शुरुआत से पढ़ाया जा रहा है। या तो समय मिले नहीं तो पाठ्यक्रम को कम से 15 फीसद कम हो। नहीं तो विद्यार्थियों का परिणाम प्रभावित होगा। संसाधनों की कमी से बहुत से मेधावी विद्यार्थी भी अबकी नही पढ़ पाए हैं।
मो. मुस्तकीम, रसायन विज्ञान प्रवक्ता
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यदि परीक्षा अप्रैल के अंत में परीक्षा हो तो यह पाठ्यक्रम ठीक है। पर यदि परीक्षा मार्च में होगी तो पाठ्यक्रम को कम करना आवश्यक हैं। कम से कम 10 प्रतिशत पाठ्यक्रम कम होना आवश्यक है। वैसे भी विद्यालयों में पाठ्यक्रम पूरा कराने का प्रयास किया जा रहा हैं।
स्कंद नारायण तिवारी, गणित शिक्षक
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परीक्षा मई में होनी चाहिए, क्योंकि ग्रामीण छात्र-छात्राओं को पूरा पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है। ऑनलाइन में सभी विद्यार्थी नही पढ़ पाए थे। हमारे विद्यालय में अच्छे ढंग से पाठ्यक्रम सुव्यवस्थित पढ़ाया जा रहा है।
-श्रुति गुप्ता, अंग्रेजी शिक्षक