Move to Jagran APP

अल्ट्रासाउंड मशीनें खामोश, कौन खोजे बीमारी, परेशान हो रहे मरीज

प्रदेश के अन्य जिलों की तुलना में प्रतापगढ़ में सरकारी अस्पताल अधिक हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Feb 2020 10:47 PM (IST)Updated: Fri, 14 Feb 2020 10:47 PM (IST)
अल्ट्रासाउंड मशीनें खामोश, कौन खोजे बीमारी, परेशान हो रहे मरीज
अल्ट्रासाउंड मशीनें खामोश, कौन खोजे बीमारी, परेशान हो रहे मरीज

जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़ : प्रदेश के अन्य जिलों की तुलना में प्रतापगढ़ में सरकारी अस्पताल अधिक हैं। इमारतें बनती ही जा रही हैं, पर उनमें मानवीय व मशीनी संसाधन की कमी से मरीजों को अपना दर्द लेकर भटकना पड़ रहा है। दैनिक जागरण ने मरीजों की व्यथा व बेहतरी के दावों की कथा को काफी नजदीक से देखा। इसको लेकर समाचारीय अभियान के पहले दिन अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड व एक्स-रे सुविधा पर नजर डाली। जिले में महज एक सरकारी रेडियोलाजिस्ट है। उनकी तैनाती जिला अस्पताल में है। सीएचसी व पीएचसी की बात छोड़िए जिला महिला अस्पताल की पांच मंजिला नई इमारत में भी अल्ट्रासाउंड मशीन ठप है। उसे चलाने को रेडियोलाजिस्ट ही नहीं है। ऐसे में यहां आने वाली महिलाओं की जांच अक्सर नहीं हो पाती। एक निजी सेंटर को विभाग ने संबद्ध किया है, जहां कभी-कभी जांच कराई जाती है, लेकिन महिलाओं की भीड़ के आगे यह विकल्प ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित होता है।

loksabha election banner

बता रहे हैं आंकड़े-

बड़े अस्पताल 02

कुल सीएचसी 27

अतिरिक्त पीएचसी 55

ब्लाक पीएचसी 05

अर्बन पीएचसी 01

56 सेंटर रजिस्टर्ड

जिले में 56 निजी अल्ट्रासाउंड सेंटर विभाग में रजिस्टर्ड हैं। वैसे तो हर बाजार में सेंटर खुले हुए देखे जाते हैं, पर विभाग का दावा है कि जो हैं सब रजिस्टर्ड हैं। उनकी जांच भी की जाती है।

चला गया सिस्टम

सीएचसी पट्टी में अल्ट्रासाउंड का पूरा सिस्टम विभाग ने तीन साल पहले लगाया था। बाद में वह रेडियोलाजिस्ट की तैनाती न कर सका। इसके बाद यहां से मशीन को कुंडा भेज दिया गया, पर वहां भी वह बेकार पड़ी है।

मरीजों की जेब पर डाका

मरीजों को सरकारी अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड सुविधा निश्शुल्क मिलनी चाहिए, पर ऐसा है नहीं। सरकारी तंत्र फेल रहने से मरीजों की जेब पर डाका पड़ रहा है। शुक्रवार को कुंडा, महेशगंज, बिहार व कालाकांकर सीएचसी में लोगों को परेशान देखा गया। कुंडा में मिले राम जस को पेट में अल्सर है। वह यहां आने पर निराश लौटने को विवश हुए। कालाकांकर में मिली सुनीता को अपनी बहू को प्रसव के पहले जांच करानी थी, पर न हो सकी। अब उसे निजी सेंटर पर पांच से छह सौ रुपये में जांच करवानी होगी। सीएचसी कुंडा में करीब एक साल से अल्ट्रासाउंड मशीन ठप है, क्योंकि रेडियोलाजिस्ट नहीं है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.