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दो लाख लोगों ने नहीं ली फाइलेरिया की खुराक

प्रतापगढ़ जिले में हाथी पांव के संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए चलाए गए फाइलेरिया दवा अभि

By JagranEdited By: Published: Thu, 02 Jan 2020 11:10 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jan 2020 06:01 AM (IST)
दो लाख लोगों ने नहीं ली फाइलेरिया की खुराक
दो लाख लोगों ने नहीं ली फाइलेरिया की खुराक

प्रतापगढ़ : जिले में हाथी पांव के संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए चलाए गए फाइलेरिया दवा अभियान में दो लाख लोग शामिल ही नहीं हुए। जागरूकता के अभाव में उन्होंने टीम को लौटा दिया। बाकी लोगों ने खुराक को लेकर अपना बचाव किया।

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जिले की आबादी करीब 40 लाख है। इनमें से 15 फीसद को दवा नहीं देनी थी। यह संख्या नवजात से लेकर दो साल तक के बच्चों, गर्भवती महिलाओं व गंभीर मरीजों की रही। यानि 36 लाख को दवा लेना चाहिए, लेकिन इनमें से करीब छह फीसद ने दवा नहीं खाई। उनके मन में दवा को लेकर भ्रांतियां रहीं। उन तक स्वास्थ्य विभाग का जागरूकता संदेश नहीं पहुंच सका। इनमें आधे से अधिक लोग ऐसे रहे जो यह कहकर टीम को लौटा दिए कि उनको फाइलेरिया है नहीं तो दवा क्यों खाएं। जबकि यह दवा साल में एक बार खाने से कभी फाइलेरिया का खतरा न रहेगा, इस बात को वह न सुनने को तैयार हुए न समझने को।

जिले में फाइलेरिया रोधी दवा अभियान 25 नवंबर से 10 दिसंबर तक चलना था, मगर इसकी तिथि बढ़ाकर 31 दिसंबर की गई और दवा का वितरण किया गया। अब विभाग इसे बढ़ाने को तैयार नहीं है। इस बार दवा का वितरण न करके उसे टीम द्वारा अपने सामने खिलाने का अभियान चलाया गया, लेकिन बहुत से लोग अपनी सोच को न बदल सके। उनको लगा कि दवा खाने से उनके शरीर पर पता नहीं कौन प्रभाव पड़ जाए, चक्कर आ जाए, बुखार हो जाए। यही वजह रही कि कई जगह तो लोग टीम के समझाने पर उलझ भी गए।

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1330 टीमों ने किया कार्य :

फाइलेरिया की दवा लोगों को खिलाने के लिए जिले में 1330 टीमों का गठन किया गया था। इनकी निगरानी के लिए सुपरवाइजर लगाए गए थे। इस टीम में उस क्षेत्र की एएनएम, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को लगाया गया था। टीम ने लोगों ने दवा खिलाई। लोगों की शरीर की लंबाई के अनुपात का डोज दिया। इसके लिए कई जगह एएनम को दूसरे ब्लाक से अटैच भी करना पड़ा।

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इसलिए जरूरी है यह दवा :

-किसी भी उम्र में किसी को भी फाइलेरिया हो सकता है।

-हाथ-पैर, अंडकोष में सूजन मुख्य लक्षण होता है।

-यह संक्रमण क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है।

-बचने को सफाई रखें और मच्छरदानी का प्रयोग करें।

-दवा खाने से फाइलेरिया के परजीवी नष्ट होते हैं।

-इससे कभी हाथी पांव होने का खतरा नहीं होता।

-दवा पेट के अंदर के कीड़े, खुजली को नष्ट करती है।

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जागरूकता के लिए माध्यम बनेंगी रोडवेज बसें :

फाइलेरिया के बारे में लोगों को जागरूक करने को परिवहन निगम का सहयोग लिया जाएगा। रोडवेज बसों पर फाइलेरिया के खतरों, बचाव के उपायों आदि के स्लोगन लिखे पोस्टर लगाए जाएंगे। इसे प्रतापगढ़ में शुरू भर कर दिया गया है। इसमें संक्रमण फैलाने वाले क्यूलेक्स मच्छर का जीवन चक्र भी समझाया गया है। यह प्रचार लोगों को मच्छरों से बचकर रहने को प्रेरित करने में सहायक होगा।

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जिले में अभियान चलाया गया। इसमें टीमें घर-घर पहुंचीं। लाखों लोगों ने दवा खाकर अपना बचाव किया। बहुत से लोगों ने दवा नहीं खाई। अगर फिर से कोई चक्र चलता है तो उनको समझाने की कोशिश होगी।

-राजेश गुप्ता, जिला मलेरिया अधिकारी


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