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गांव तो आ गए, अब करें तो करें क्या..

कोरोना संकट के चलते लॉकडाउन हो गया। कल-कारखानों व दुकानों पर ताले लटक गए। ऐसे में महानगरों में रोजी-रोटी कमा रहे गांवों से गए लोग बेकार हो गए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 10:28 PM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 10:28 PM (IST)
गांव तो आ गए, अब करें तो करें क्या..
गांव तो आ गए, अब करें तो करें क्या..

जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़ : कोरोना संकट के चलते लॉकडाउन हो गया। कल-कारखानों व दुकानों पर ताले लटक गए। ऐसे में महानगरों में रोजी-रोटी कमा रहे गांवों से गए लोग बेकार हो गए। वह अब गांव तो आ गए हैं, पर उनको कोई काम नहीं सूझ रहा है।

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कहने को प्रशासन ने अब तक जिले में 57 हजार प्रवासियों को मनरेगा में काम दिया है, पर गांव-गांव अब भी हजारों लोग बेकार हैं। इसके पहले जब कोरोना नहीं था तो कोई महानगर में टैक्सी चलाता था। पूरे शहर की हवा खाता था। किराए के साथ उपहार भी पाता था। कोई बड़े सेठ का सुरक्षा गार्ड बनकर शान से कमा रहा था। कोई कारखाने का सुपरवाइजर बनकर खुद को और परिवार को सुखी रखे था। वहीं बहुत से लोग कपड़ा, धागा, सीमेंट आदि के कारखानों में कमरतोड़ मजदूरी भी करते थे। अब यह लोग अपने गांव आ गए हैं। उनको मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद, सूरत का वह रहन-सहन मनरेगा का मजदूर बनने से रोकता है। दूसरा काम करें तो पूंजी की कमी रोड़ा अटकाती है। गांवों में वैसे भी कल-कारखाने नहीं हैं। छोटे उद्यम हैं तो वह इन दिनों बंद हैं। ऐसे में ग्रामीण अर्थव्यवस्था उनको अपने में नहीं समा पा रही है। वह परेशान हैं। यहां-वहां बैठकर माथा-पच्ची कर रहे हैं कि करें तो क्या करें। लगता है फिर पकड़नी होगी परदेस की डगर

संसू, संडवा चंद्रिका : सदर क्षेत्र के कटवढ़ निवासी अवधेश मिश्र कहने लगे कि आधी से अधिक उम्र मुंबई में बीत गई। अब वहां कारोबार ठप है। गांव आए तो यहां कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें। यहां कुछ भी शुरू करने के लिए पूंजी की दरकार है। इसका प्रबंध न कर पाए तो लगता है कि हालात सामान्य होने पर फिर से परदेस की डगर पकड़नी पड़ेगी। पूरे परमेश्वर निवासी विशाल प्रजापति मुंबई में हीरा तराशते थे। अब उनका कारोबार बंद है। गांव में उन्हें कोई रोजगार नहीं मिल रहा है। अब वह अपने घर रह कर कोई बिजनेस करने की तैयारी में हैं। इसके लिए वह शासन की योजनाओं की जानकारी भी जुटा रहे हैं। इसी गांव के शहबाज मुंबई में शटरिग का काम करते थे। लाकडाउन में काम बंद हुआ तो वह अपने घर आ गए। यहां भी उन्होंने शटरिग का काम शुरू करना चाहा, लेकिन पूंजी न होने से वह प्लाई व बांस-बल्ली नहीं खरीद पा रहे।

सीएलपी लीडर ने प्रवासी श्रमिकों को रोजगार को लिखा पत्र

संसू, लालगंज : कांग्रेस विधान मंडल दल की नेता व रामपुर खास की विधायक आराधना मिश्रा मोना ने डीएम को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र के प्रवासी बेरोजगार मजदूरों को मनरेगा के तहत रोजगारपरक कार्य दिए जाने का अनुरोध किया है। मीडिया प्रभारी ज्ञान प्रकाश शुक्ल के हवाले से मंगलवार को जारी विधायक के पत्र में रामपुरखास के साथ जिले भर में लाखों की संख्या में बेरोजगार होने की स्थिति को गंभीर बताया गया है।


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