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गरीबी से तंग आकर शिक्षक ने दी जान

जासं, प्रतापगढ़/कोहंड़ौर : इलाज का खर्च और ऊपर से पांच महीने से एक पाई वेतन न मिलना। वेतन

By JagranEdited By: Published: Sat, 03 Feb 2018 10:49 PM (IST)Updated: Sat, 03 Feb 2018 10:49 PM (IST)
गरीबी से तंग आकर शिक्षक ने दी जान
गरीबी से तंग आकर शिक्षक ने दी जान

जासं, प्रतापगढ़/कोहंड़ौर : इलाज का खर्च और ऊपर से पांच महीने से एक पाई वेतन न मिलना। वेतन के लिए उधार लेकर जो रुपया खर्च किया, उसका भी रोज तगादा। इन हालात से तंग आकर जिले के एक सहायक अध्यापक ने आत्महत्या कर ली। घटना को पांच दिन बीत गए, लेकिन अब जानकारी मिलने से खफा शिक्षक संगठनों ने नाराजगी जताई है। साथ ही विभाग पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं।

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इस मामले में विशिष्ट बीटीसी शिक्षक संघ ने प्रतापगढ़ शहर में और युनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) की बैठक मंगरौरा में हुई। मंगरौरा ब्लाक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय दरछुट में यूटा की बैठक में पूर्व माध्यमिक विद्यालय कल्याणी मंगरौरा में तैनात सहायक अध्यापक आलोक त्रिपाठी के आसामयिक निधन पर दुख व्यक्त जताया गया। जिलाध्यक्ष मुकेश कुमार दूबे कहा कि आलोक को आठ माह से वेतन नहीं मिल रहा था। बिहार ब्लॉक से लगभग 60 किमी दूरी से मंगरौरा ब्लॉक के पूरब पट्टी ग्राम सभा के पूर्व माध्यमिक विद्यालय कल्याणी में उन्हें तैनाती दी गई थी। जबकि पारिवारिक कारण से वे यहां ढाई साल से ट्रांसफर मांग रहे थे। शिक्षकों का आरोप है कि पूरब पट्टी ग्राम प्रधान उनको प्रतिदिन प्रताड़ित करते थे। जिससे वे डिप्रेशन में थे। इसी वजह से उन्होंने यह कदम उठाया है। शिक्षकों ने इस मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। साथ ही ऐसा न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी। बैठक में जिला महामंत्री नीरज ¨सह, देवी प्रसाद, मो जावेद, मकदूम, प्रवीण ¨सह, गौरी शंकर तिवारी, वायु नंदन मिश्र, राजेश पांडेय आदि मौजूद रहे।

उधर, विशिष्ट बीटीसी शिक्षक संघ की बैठक में कहा गया कि मेडिकल देने के बावजूद उनको वेतन नहीं दिया जा रहा था। जबकि निलंबित कर्मचारी को भी उनके भरण पोषण के लिए आधा वेतन दिया जाता है। बैठक में जिलाध्यक्ष डॉ. विनोद त्रिपाठी, ललित मिश्र, अरुण मिश्र, आलोक पांडेय, आशुतोष ¨सह, विजय गुप्ता, राकेश शर्मा, राहुल शुक्ला, नवीन प्रताप ¨सह आदि अनेक शिक्षक मौजूद रहे।

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उजागर हुआ विभाग का भ्रष्टाचार

मंगरौरा क्षेत्र के शिक्षकों के अनुसार 29 जनवरी की रात आलोक त्रिपाठी ने आत्महत्या कर ली थी। बताया जा रहा है कि बिहार ब्लाक के ग्राम रामपुर कोटवा में उनका घर है। जहां से आते जाते समय दो बार उनका एक्सीडेंट भी हो चुका था। उन्होंने चिकित्सकीय अवकाश लिया था, जिसका मेडिकल बनवाकर उन्होंने विभाग में दाखिल भी कर दिया था, बावजूद इसके उनका वेतन निर्गत नहीं किया जा रहा था। शिक्षक तो यहां तक बताते हैं कि वेतन जारी कराने के लिए रिश्वत के तौर पर देने के लिए आलोक त्रिपाठी ने उधार भी ले लिया था। बावजूद इसके उन्हें वेतन नहीं मिला और उधर से लगातार उधारी की रकम भी मांगी जा रही थी। इन स्थितियों को लेकर वे बेहद परेशान थे। शिक्षक इसके लिए ग्राम प्रधान के अलावा खंड शिक्षा अधिकारी और बीएसए कार्यालय में फैले भ्रष्टाचार को जिम्मेदार बता रहे हैं।

'सहायक अध्यापक आलोक त्रिपाठी बिना सूचना दिए अवकाश पर चले गए थे। ऐसे में सितंबर माह से उनका वेतन रोक दिया गया था। खंड शिक्षा अधिकारी ने बताया कि 15 दिन पहले ही उन्होंने अपना मेडिकल दिया था।'

सुधीर ¨सह, प्रभारी बेसिक शिक्षा अधिकारी


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