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जल संरक्षण की अलग जगा रहा तेलियानी का तालाब

आसपुर देवसरा के तेलियानी गांव के तालाब की कुछ अलग ही कहानी है। अक्सर बारिश के दिनों में गांव में बाढ़ आ जाती। गांव वालों ने इससे निजात पाने के लिए तालाब निर्माण के बारे में सोचा और वित्तीय वर्ष 2015-16 में एक तालाब का निर्माण करा डाला। इससे दो फायदे हुए। पहला कि बाढ़ की नौबत से निजात मिली और दूसरा यह कि जल संचयन के लिए एक बड़ा विकल्प मिल गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Apr 2021 10:19 PM (IST)Updated: Thu, 22 Apr 2021 10:19 PM (IST)
जल संरक्षण की अलग जगा रहा तेलियानी का तालाब
जल संरक्षण की अलग जगा रहा तेलियानी का तालाब

संवाद सूत्र, अमरगढ : आसपुर देवसरा के तेलियानी गांव के तालाब की कुछ अलग ही कहानी है। अक्सर बारिश के दिनों में गांव में बाढ़ आ जाती। गांव वालों ने इससे निजात पाने के लिए तालाब निर्माण के बारे में सोचा और वित्तीय वर्ष 2015-16 में एक तालाब का निर्माण करा डाला। इससे दो फायदे हुए। पहला कि बाढ़ की नौबत से निजात मिली और दूसरा यह कि जल संचयन के लिए एक बड़ा विकल्प मिल गया।

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आसपुर देवसरा के तेलियानी गांव का तालाब करीब छह बिस्वा में है। जल संचयन के ²ष्टिकोण से इस तालाब को वर्ष 2015-16 में खोदाई करके तैयार किया गया। गांव की पूर्व प्रधान प्रभावती देवी के प्रयास से तालाब का निर्माण हुआ था। इसमें करीब पांच लाख रुपये खर्च किया गया था। गांव के बगल से गुजरी नहर से पानी तालाब में आता है। साल के सभी महीनों में तालाब में पानी लबालब रहता है। गांव के लोग शाम को तालाब के पास बैठकर प्रकृति का आनंद लेते हैं। गर्मी के दिनों में पशु पक्षी भी तालाब में पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं। जल संचयन के ²ष्टिकोण से यह तालाब कारगर साबित हो रहा है। गांव के रमापति, बब्बन, रामाश्रय यादव, लीलामणि गौतम बताते हैं कि गांव में बने तालाब से कई तरह के लाभ हैं। गांव के तमाम लोग यहां पर आकर सुबह शाम बैठते हैं। प्राकृतिक तालाब की ठंडई का आनंद लेते हैंतालाबों से सभी को लाभ है, पशु-पक्षी जानवर पानी पी सकते हैं। तालाब के किनारे पेड़-पौधे हैं, इसे पर्यावरण हरा-भरा और सुंदर है। पहले मनुष्य के लिए तालाब ही पानी के सबसे प्रमुख श्रोत थे। गांव में कई तालाब होते थे। एक तालाब में बरसात का पानी पीने के लिए होता था, दूसरे में नहाने और कपड़े धोने के लिए होता था। जिले में लगभग सभी गांवों में तालाब है। हालांकि उपेक्षा के चलते कई तालाब सूख गए हैं, वहीं जबकि अधिकांश तालाबों में पानी लगा रहता है। अगर तेलियानी गांव वालों की तरह अन्य गांव वाले भी तालाब को लेकर जागरूक रहें तो निश्चित ही जल संरक्षण की दिशा में महत्वरपूर्ण योगदान साबित होगा।


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