पाई-पाई को मोहताज हुए प्राइवेट स्कूलों के शिक्षक
जिले में कोरोना काल में प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों के समक्ष रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया। लगातार दो वर्ष से प्राइवेट स्कूल के शिक्षक कुछ माह आंशिक वेतन से संतोष कर आगे की आशा से स्कूलों में सक्रियता बनाए थे लेकिन इस सत्र में भी कोविड-19 ग्रहण बनकर शिक्षकों के परिवारों के ऊपर टूट पड़ा है। जहां एक ओर कुछ स्कूलों में प्रबंधन ने उनका मानदेय कम कर दिया है तो कुछ स्कूलों ने मानदेय देना बंद कर दिया है। तीन माह स्कूल खुलने के बाद एक बार पुन कोरोना का कहर शुरू हुआ तो सरकार ने स्कूलों को बंद कर दिया।
संवादसूत्र, प्रतापगढ़ : जिले में कोरोना काल में प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों के समक्ष रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया। लगातार दो वर्ष से प्राइवेट स्कूल के शिक्षक कुछ माह आंशिक वेतन से संतोष कर आगे की आशा से स्कूलों में सक्रियता बनाए थे, लेकिन इस सत्र में भी कोविड-19 ग्रहण बनकर शिक्षकों के परिवारों के ऊपर टूट पड़ा है। जहां एक ओर कुछ स्कूलों में प्रबंधन ने उनका मानदेय कम कर दिया है तो कुछ स्कूलों ने मानदेय देना बंद कर दिया है। तीन माह स्कूल खुलने के बाद एक बार पुन: कोरोना का कहर शुरू हुआ तो सरकार ने स्कूलों को बंद कर दिया।
देखा जाए तो जिले में प्राइवेट व वित्तविहीन स्कूलों के लगभग दस हजार शिक्षक हैं। सपा की अखिलेश सरकार ने जाते-जाते इन शिक्षकों को 800 रुपये प्रतिमाह पारितोषिक के रूप में देने की शुरुआत की थी और पुन: सरकार आने पर सम्मानजनक मानदेय देने का वादा किया था। सपा सरकार जाने के बाद सत्तारूढ़ हुई भाजपा की योगी सरकार ने इन शिक्षकों को दिया जाने वाला पारितोषिक बंद कर दिया और सम्मानजनक मानदेय देने की बात कही थी। आज तक सरकार ने वित्तविहीन शिक्षकों की सुधि नहीं ली। पिछले दो साल से कोरोना का कहर चल रहा है। इसका सर्वाधिक असर शिक्षा पर पड़ा है। स्कूल खुले नहीं तो अधिकांश बच्चों की फीस भी नहीं आई। फीस नहीं आई तो स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों को दिए जाने वाले मानदेय पर भी असर पड़ा। अब स्थिति यह है कि कहीं-कहीं तो मानदेय बंद कर दिया और कुछ स्कूलों में काफी कम मानदेय दिया जा रहा है।
सगरासुंदरपुर प्रतिनिधि के अनुसार संक्रमण काल के दौर में आम जनमानस में कोविड 19 परेशानियों का शबब बना है। ऐसे में भावी पीढ़ी के भविष्य को संवारने वाले प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों के परिवार के लोग पाई पाई को मोहताज हो चले हैं। प्राइवेट स्कूलों में सबसे दयनीय स्थिति प्राइमरी और मिडिल स्तर तक के संचालित विद्यालयों के शिक्षकों की हो चुकी है। जहां पर दो साल से दफ्तर भले खुले हो मगर छात्रों के पढ़ाने का मौका शिक्षकों को मयस्सर नहीं हो पाया। क्षेत्र के मुस्ताक अहमद, भइया लाल, शकुंतला त्रिपाठी, उमादेवी, नियाज अहमद, विजय गुप्ता आदि शिक्षकों ने शासन से सहानुभूति पूर्वक विचार करने की मांग की। ----------
फोटो- 13 पीआरटी- 18
कोरोना काल में सरकार ने शिक्षकों को छोड़कर हर वर्ग की सुधि ली। संगठन ने मांग किया था कि सभी शिक्षकों को 15 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय उनके खाते में भेजा जाए, जिससे उनके परिवार का भरण पोषण हो सके। लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
-त्रिलोचन सिंह, जिलाध्यक्ष माध्यमिक शिक्षक संघ ------
फोटो- 13 पीआरटी-19
कोरोना संक्रमण का सबसे अधिक प्रभाव शिक्षा पर पड़ा। प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों की हालत अत्यंत दयनीय है। उनकी रोजी रोटी पर संकट होने के साथ परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। सरकार को इनकी मदद की जानी चाहिए।
-सुरेश त्रिपाठी, पूर्व अध्यक्ष माध्यमिक शिक्षक संघ