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बदलते परिवेश की आहट देने वाली हों कहानियां

प्रतापगढ़ नगर में पहली बार राष्ट्रीय कहानी साहित्य संगोष्ठी में कहानी लेखन व उसमें बदलते प्रतिबिंब को लेकर चर्चा की गई। इस मौके पर साहित्यकारों का सम्मान किया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 10:47 PM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 10:47 PM (IST)
बदलते परिवेश की आहट देने वाली हों कहानियां
बदलते परिवेश की आहट देने वाली हों कहानियां

प्रतापगढ़ : नगर में पहली बार राष्ट्रीय कहानी साहित्य संगोष्ठी में कहानी लेखन व उसमें बदलते के प्रभाव को लेकर चितन हुआ। कहानीकारों ने साफ तौर पर माना कि कहानी में समाज के हर तबके को शामिल किया जाना चाहिए। साथ ही हर उम्र के लिए कहानी लिखी जाएगी तो पढ़ने वालों की अभिरुचि बनी रहेगी।

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नगर के जीआइसी सभागार में सृजना द्वारा रविवार को आयोजित कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश हिदी संस्थान से पुरस्कृत कहानीकार राम नगीना मौर्य ने कहा कि कहानी दादी-नानी सुनाया करती हैं। कहानी घर-घर में रची बसी है। कहानी लेखन में भाषा भाव और शैली का अधिक महत्व होता है। उत्तर प्रदेश हिदी संस्थान से पुरस्कृत कहानीकार हरिलाल मिलन ने कहा कि कहानियां केवल कल्पना नहीं, बल्कि समाज का प्रतिबिब होती हैं।

मुख्य अतिथि भाजपा नेता शिव प्रकाश मिश्रा सेनानी ने कहानीकारों को मुंशी प्रेमचंद कथा सम्राट सम्मान, कुछ को साहित्य और लोक गौरव सम्मान से नवाजा। संगोष्ठी के अध्यक्ष डा. दयाराम और रत्न ने कहा कि कहानी के क्षेत्र में उत्कृष्ट साहित्य लिखा जा रहा है। कहानियों से समाज को दिशा मिलती है। मंच से डा. दयाराम मौर्य रत्न के कहानी संग्रह जीवन यथार्थ व राम नगीना के कहानी संग्रह सॉफ्ट कॉर्नर का लोकार्पण किया गया। विचार व्यक्त करने वालों में कथाकार डा. अमर नाथ सिंह अमर, चंद्रभान सिंह चंद्र, लखनऊ के दयाराम मौर्य, हरिवंश सिंह, प्रदीप चित्रांशी, प्रसिद्ध नाटककार राम बोध पांडेय, रश्मि अग्रवाल, रेशमा त्रिपाठी, कथाकार विजय चितौरी, प्रेम कुमार प्रेम, अनिल शलभ, राधे श्याम दीवाना, कुंज बिहारी लाल मौर्य, लखन प्रतापगढ़ी, आरएन पाल, विजय प्रताप त्रिपाठी, शम्स तबरेज, ने विचार रखे। संचालन लखन प्रतापगढ़ी व अनिल कुमार निलय ने किया।

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नई पीढ़ी के लिए उपयोगी :

कथा लेखन में नाम कमा रहे हरीलाल मिलन ने जागरण से बातचीत में कहा कि कहानी, साहित्य की सबसे रोचक और शिक्षाप्रद विधा है। कहानियां हर आयु-वर्ग के पाठकों के मन को सीधे प्रभावित करती हैं। स्वस्थ आदतों के निर्माण तथा संस्कार विकसित करने में सहायक हैं। तेजी से डिजिटल हो रही नई पीढ़ी को कहानी के जरिए ही संभाला जा सकता है।

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कहानियां युग का दस्तावेज :

प्रतिष्ठित कहानीकार रामनगीना मौर्य की कहानी आप कैमरे की निगाह में हैं खासी चर्चा में है। उनका कहना है कि मानव के सूक्ष्म मनोभावों को उकेरने वाली कहानी ही सार्थक है। कहानियां युग का दस्तावेज होती हैं। साथ ही युग परिवर्तन तथा युग निर्धारण का भी कार्य करती हैं। मानसिक, बौद्धिक, चारित्रिक तथा नैतिक विकास को कहानी लेखन जारी रहे।


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