संगठन का सहारा ले रहे हैं घपलेबाज सचिव
स्वच्छ भारत मिशन योजना में जिले में करोड़ों रुपये का गबन हुआ है। किसी सचिव ने एक करोड़ तो किसी ने 75 लाख रुपये खाते से निकाल लिए हैं। जब उनको चिहित करके उनसे रिकवरी व प्रतिकूल प्रविष्टि की कार्रवाई की जाने लगी तो वह कर्मचारी संगठन का सहारा ले रहे हैं। कार्रवाई से बचने का हर प्रयास कर रहे हैं। इस मामले को लेकर सचिव सीडीओ से मिलकर ज्ञापन दे चुके हैं।
संवाद सूत्र, प्रतापगढ़ : स्वच्छ भारत मिशन योजना में जिले में करोड़ों रुपये का गबन हुआ है। किसी सचिव ने एक करोड़ तो किसी ने 75 लाख रुपये खाते से निकाल लिए हैं। जब उनको चिहित करके उनसे रिकवरी व प्रतिकूल प्रविष्टि की कार्रवाई की जाने लगी तो वह कर्मचारी संगठन का सहारा ले रहे हैं। कार्रवाई से बचने का हर प्रयास कर रहे हैं। इस मामले को लेकर सचिव सीडीओ से मिलकर ज्ञापन दे चुके हैं।
शासन की महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन योजना जिले में घपले की भेंट चढ़ गई है। योजना के तहत जिले में चार लाख से अधिक शौचालय बनाने का लक्ष्य था। शौचालय बनाने के लिए प्रत्येक शौचालय के हिसाब से 12 हजार रुपये के हिसाब से पैसा ग्राम पंचायत के खाते में भेजा गया था। काफी सचिवों ने शौचालय निर्माण कराने को लेकर करोड़ों रुपये ग्राम पंचायत के खाते से निकाल लिए। कई माह तक कागजी कोरम पूरा किया जाता रहा। कई डीपीआरओ भी बदल गए। इससे काम को गति नहीं मिली। अब जब शौचालय के पैसा की समीक्षा होने लगी। टीम द्वारा गांव में भेजकर शौचालय की वास्तविक जांच कराई गई तो हजारों शौचालय जमीन पर नहीं मिले। ग्राम पंचायत के खाते की जांच कराई गई तो उसमें करोड़ों रुपये निकाले जाने की बात सामने आई। इस पर डीपीआरओ ने लक्ष्मणपुर, बाबागंज, लालगंज, सांगीपुर, लक्ष्मणपुर, रामपुर संग्रामगढ़, गौरा सहित अन्य कई ब्लाक के कई सचिवों द्वारा करोड़ों रुपये गबन करने पर उनके विरुद्ध प्रतिकूल प्रविष्टि की कार्रवाई की है। इसके अलावा करोड़ों रुपये की रिकवरी किये जाने को पत्र लिखा। इससे गबन करने वाले कर्मियों में खलबली मच गई। अब वह कार्रवाई से बने के लिए सफेदपोश व कर्मचारी संगठन का सहारा ले रहे हैं। डीपीआरओ रवि शंकर द्विवेदी ने बताया कि शौचालय का पैसा हजम करने वाले सचिवों के विरुद्ध प्रतिकूल प्रविष्टि की कार्रवाई की गई है। कई अन्य कार्रवाई की जद में हैं।
---
हजारों शौचालय जमीन पर नहीं
सैकड़ों ग्राम पंचायतों में हजारों शौचालय जमीन पर नहीं दिख रहे हैं, जबकि उनको कागज में बना दिया गया है। ऐसे शौचालयों का भी सत्यापन हो रहा है। हालांकि ग्राम प्रधानों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद उनसे रिकवरी करने में भी मशक्कत झेलनी पड़ेगी। निवर्तमान ग्राम प्रधानों ने भी काफी पैसा हजम किए हैं। सफेदपोश के दबाव के चलते वह कार्रवाई से बच गए थे।
---
वापस लौटा दी गई फाइल
ग्राम पंचायतों में तैनात ग्राम पंचायत अधिकारियों पर गबन करने के मामले में कार्रवाई हुई, लेकिन जब ग्राम्य विकास अधिकारियों पर कार्रवाई करने के लिए डीडीओ को पत्र भेजा गया तो वहां से फाइल को ही वापस कर दिया गया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि घपला करने वाले सचिव पर विभाग कितना मेहरबान हैं। कारण भी समझा जा सकता है। वरिष्ठ अधिकारियों की चुप्पी भी व्यवस्था पर सवाल खड़े करने के लिए काफी है।