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सई नदी पीछे हटीं, बकुलाही ऊफान पर

प्रतापगढ़ सई तटीय इलाके में रहने वाले लोगों के लिए राहत भरी खबर है। सई का जलस्तर अब

By JagranEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 11:17 PM (IST)Updated: Wed, 02 Oct 2019 06:18 AM (IST)
सई नदी पीछे हटीं, बकुलाही ऊफान पर
सई नदी पीछे हटीं, बकुलाही ऊफान पर

प्रतापगढ़ : सई तटीय इलाके में रहने वाले लोगों के लिए राहत भरी खबर है। सई का जलस्तर अब घटने लगा है। सप्ताह भर पहले की अपेक्षा मंगलवार शाम को करीब दो सेमी पानी घटा दिखा। बेल्हा देवी धाम पर दर्शन करने आए लोगों की नजरें पानी पर ही टिकी रहीं। मंदिर परिसर पर जलभराव आकर्षण का केंद्र बना रहा। वहीं बकुलाही नदी ऊफान पर हैं और कुंडा क्षेत्र में किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया है।

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शहर से होकर गुजरी सई नदी शहर के लोगों के लिए समस्या बनी हुई है। करीब 35 साल बाद सई का जलस्तर इस कदर बढ़ा है। सई का जलस्तर बढ़ने से बेल्हा घाट मोहल्ले के दर्जनों घरों का आगोश में ले लिया है। घरों में पानी भरने से दर्जनों परिवार पलायन कर गए हैं। मोहल्ले के अधिकांश घरों में केवल गेट पर ताला लगा ही दिख रहा है। सन्नाटा छाया हुआ है। लाखों की गृहस्थी बर्बाद हो चुकी है। अब वह इसका इंतजार कर रहे हैं कि सई का जलस्तर घटे। हालांकि जिस तरह से मोहल्ले में जलभराव हुआ है, पहले की तरह सामान्य होने में अभी वक्त लगेगा। बेल्हा देवी धाम की कुछ सीढि़यों से पानी नीचे उतरा दिखा। वहां पर तैनात पुलिस कर्मी लोगों को आगे जाने से मना कर रहे थे। वहां बकायदा रस्सी लगा दी गई है। पुलिस दिन-रात वहां पर नजर रखे हुए है। मंगलवार होने के चलते बेल्हा देवी के दर्शन करने को श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रही। दर्शन करने के बाद हर किसी की नजर नदी की ओर पड़ रही थी।

कुंडा प्रतिनिधि के मुताबिक क्षेत्र में हुई मूसलधार बारिश का पानी बकुलाही नदी में पहुंचने पर किनारे बसे गांवों के लिए मुसीबत बन गई है। इससे मसवन, सियारिया, ढोढ़वा स्वरूपपुर, टिकरिया, ऐंधा, तिवारीपुर, जगतपुर, वजीरपुर, काजीपुर, कनावा, फतूहाबाद सहित दो दर्जन गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। हजारों एकड़ धान की फसल बर्बाद हो चुकी है। किसानों का सब कुछ बर्बाद हो गया है। नदी के पानी का जलस्तर न घटने से ग्रामीणों व किसानों के चेहरे पर चिता की लकीरें हैं। वहीं प्रशासन अभी तक किसी तरह की मदद का आश्वासन नहीं दे रहा है। तहसीलदार राम जनम यादव का कहना है कि क्षेत्रीय लेखपालों से हुए नुकसान का आकलन कराया जा रहा है।


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