खाने के लिए डॉल्फिन को बेरहमी से मार डाला
गंगा नदी की सेहत की प्रतीक के रूप में संरक्षित एक दुर्लभ डॉल्फिन मछली को यहां कुछ ग्रामीणों ने शारदा सहायक नहर में मार डाला। वह उसे अपना निवाला बनाना चाहते थे। लोगों के देख लेने पर उसे मृत दशा में छोड़कर भाग निकले। इसकी खबर क्षेत्र में फैलने पर सैकड़ों लोग मौके पर पहुंच गए। पुलिस व वन विभाग के अधिकारी कार्रवाई में जुट गए हैं।
संसू, परियावां, प्रतापगढ़ : गंगा नदी की सेहत की प्रतीक के रूप में संरक्षित एक दुर्लभ डॉल्फिन मछली को यहां कुछ ग्रामीणों ने शारदा सहायक नहर में मार डाला। वह उसे अपना निवाला बनाना चाहते थे। लोगों के देख लेने पर उसे मृत दशा में छोड़कर भाग निकले। इसकी खबर क्षेत्र में फैलने पर सैकड़ों लोग मौके पर पहुंच गए। पुलिस व वन विभाग के अधिकारी कार्रवाई में जुट गए हैं।
नवाबगंज थाना क्षेत्र के कोथरिया गांव के पास अदलाबाद माइनर की ओर गुरुवार की दोपहर लगभग 12 बजे गांव का तुलसीराम पाल गया था। अचानक उसकी नजर नहर के अंदर किनारे की ओर एक भारी-भरकम मछली पर पड़ी। वह उसके पास डरते-डरते गया, लेकिन मछली हिलडुल नहीं रही थी। इसके बाद उसने देखा कि मछली के शरीर पर कटे के घाव के निशान हैं। वह समझ गया कि यह कोई दुर्लभ मछली है, जिसे किसी ने मार दिया है। तुलसी राम ने इस बारे में ग्राम प्रधान मनोज सिंह को बताया। तब तक सैकड़ों लोग वहां पहुंच गए। करीब आठ फीट लंबी मृत मछली को गंगा डॉल्फिन के रूप में पहचाना गया। घटना की जानकारी होने पर नवाबगंज पुलिस सक्रिय हुई। मौके पर एएसपी पश्चिमी दिनेश द्विवेदी, वन विभाग के दारोगा भैया राम पांडेय व पशु डॉक्टर ओम प्रकाश यादव पहुंचे। मछली का पोस्टमार्टम कराने पर पता चला कि धारदार हथियार से वार करने से मछली की मौत हुई है। यह करीब डेढ़ कुंतल वजन की थी। उसके शव को नहर के किनारे गड्ढा खोदकर दफना दिया गया। इस बारे में वन रेंजर आरके सिंह का कहना है कि मृत पाई गई मछली गंगा सुंइस या गंगा डाल्फिन लग रही है। नहर में गंगा से पानी आता है। पानी बंद होने से मछली आगे नहीं जा पाई होगी। इसी से लोगों की नजर में आ गई। पुलिस की मदद से हमलावरों का पता लगाया जा रहा है। उन पर मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।
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संरक्षित जलीय जीव है डॉल्फिन
डॉल्फिन स्तनधारी मछली होती है। इसे संरक्षित जलीय जीव की श्रेणी में रखा गया है। इसे मारना अपराध है। आरोपित पर मुकदमा दर्ज होता है। वन संरक्षक प्रयागराज मंडल बी आर अहीरवार का कहना है कि डॉल्फिन को अकेले रहना पसंद नहीं होता। भारत में डॉल्फिन गंगा नदी में पाई जाती है, यह विलुप्तप्राय है। यह 55 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तैरने की क्षमता रखती है। यह पानी के अंदर सांस नहीं ले पाती, जिससे बार-बार उछाल मारती व किनारे आती रहती है। पर्यावरण और वन मंत्रालय ने इसे राष्ट्रीय जलीय जीव की मान्यता दी है।