कानून लागू होने से तीन तलाक के मामलों में आई कमी
महिला उत्पीड़न पर अंकुश लगाने व परिवार के बिखराव को रोकने के लिए कानून लागू होने के बाद तीन तलाक के मामलों में कमी आई है। पिछले साल जहां 11 मुकदमे दर्ज किए गए थे वहीं इस साल अब तक सिर्फ सात मुकदमे दर्ज हुए हैं।
प्रतापगढ़ : महिला उत्पीड़न पर अंकुश लगाने व परिवार के बिखराव को रोकने के लिए कानून लागू होने के बाद तीन तलाक के मामलों में कमी आई है। पिछले साल जहां 11 मुकदमे दर्ज किए गए थे, वहीं इस साल अब तक सिर्फ सात मुकदमे दर्ज हुए हैं।
साल भर पहले तक मुस्लिम महिलाओं का काफी उत्पीड़न होता था। तीन बार तलाक बोलकर उन्हें एक झटके में तलाक दे दिया जाता था। इसके मद्देनजर केंद्र सरकार ने साल भर पहले कानून बनाकर तीन तलाक को अपराध के दायरे में ला दिया, जिससे मुस्लिम महिलाओं के उत्पीड़न पर अंकुश लग सके। इस कानून का असर देखा गया कि पहले की अपेक्षा तीन तलाक के मामलों में कमी आई है।
पुलिस के आंकड़ों को देखें तो इस कानून के लागू होने के बाद वर्ष 2019 में जिले भर में कुल 11 मुकदमे दर्ज हुए थे। इसमें से जेठवारा थाने में तीन, देवसरा, नगर कोतवाली व पट्टी में दो-दो मुकदमे और रानीगंज, कोहंडौर थाने में एक-एक मामले दर्ज किए गए थे। जबकि वर्ष 2020 में तीन तलाक के अब तक सात मुकदमे दर्ज हुए हैं। इसमें से जेठवारा, कुंडा, नगर कोतवाली, कोहंडौर, मानधाता, कंधई व लालगंज में एक-एक प्रकरण सामने आया था। यानी कानून लागू होने के बाद से साल भर में तीन तलाक के कुल 18 मुकदमे दर्ज किए गए हैं। इन मुकदमों में कुल 83 लोग आरोपित बने हैं।
14 मुकदमों की चल रही है विवेचना
कुल 18 मुकदमों में से जेठवारा व देवसरा के एक-एक मुकदमे में एफआर लग गई है। जबकि रानीगंज के एक मुकदमे में पति, ननद सहित तीन आरोपितों व देवसरा के एक मुकदमे में पति व सास के खिलाफ आरोप पत्र पुलिस ने कोर्ट में दाखिल कर दिया है। इसके अलावा 14 मुकदमों की अभी विवेचना चल रही है।
-तीन तलाक से संबंधित मुकदमे वर्ष 2019 में 11 और इस साल सात मुकदमे जिले भर दर्ज हुए हैं। इनमें से 14 मुकदमों की विवेचना चल रही है-
दिनेश द्विवेदी, एएसपी पश्चिमी
अल्लाह, किसी को तीन तलाक की नौबत ना दे
प्रतापगढ़ : बिहार ब्लाक क्षेत्र के डेरवा की रहने वाली उजरा बानों मदरसा में शिक्षिका हैं। उनकी शादी छह साल पहले डेरवा के ही अब्दुल माबूद से हुई थी। कुछ दिन तक तो ठीकठाक चला, मगर पति की बार-बार की एक जिद ने जिदगी को नासूर बना दिया। उजरा दैनिक जागरण से बातचीत में कहती हैं कि उनके पति उन्हें सरकारी नौकरी छोड़कर मुंबई चलने के लिए कह रहे थे। वहां उनकी प्राइवेट जॉब थी, उनकी कमाई का कुछ भी पता नहीं चलता था। ऐसे हालात में उजरा का सरकारी नौकरी छोड़कर मुंबई जाना बेवकूफी होती। पति को कई बार समझाया पर वह नहीं मानें और आए दिन के विवाद से जिदगी नासूर हो गई। उन्होंने अपनी इस जिद के लिए तीन तलाक दे दिया। छह साल के बच्चे को लेकर आज वह अपने मायके में जिदगी बिता रही हैं। यह अलग बात है कि उनकी सरकारी नौकरी है, उन्हें आर्थिक तंगी नहीं है, मगर पति द्वारा दिया गया घाव बेहद दर्द देता है। उन्होंने तीन तलाक को लेकर जेठवारा थाने में पति सहित तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था, पुलिस ने तीन का नाम निकाल दिया, सिर्फ पति के खिलाफ ही एफआइआर दर्ज है। वह अल्लाह से यही फरियाद करती हैं कि किसी भी महिला को तीन तलाक का दर्द ना दे।