कड़ी सुरक्षा के बीच सबलगढ़ गांव में हुआ कोटे का चयन
क्षेत्र की ग्राम पंचायत सबलगढ़ डेरवा में आखिर छठी बार कड़ी सुरक्षा के बीच कोटे की दुकान का चयन हो गया। कोटे की दुकान के चयन के बाद जहां ग्रामीणों ने राहत की सांस ली वहीं बार-बार आने वाले अधिकारियों ने भी सकून महसूस किया।
संवाद सूत्र, डेरवा: क्षेत्र की ग्राम पंचायत सबलगढ़ डेरवा में आखिर छठी बार कड़ी सुरक्षा के बीच कोटे की दुकान का चयन हो गया। कोटे की दुकान के चयन के बाद जहां ग्रामीणों ने राहत की सांस ली, वहीं बार-बार आने वाले अधिकारियों ने भी सकून महसूस किया।
डेरवा सबलगढ़ में तीन मार्च को कोटे के चयन के लिए बैठक बुलाई गई थी, जिसमें मौके पर पहुंचे एडीओ कोआपरेटिव बिहार आजाद सिंह व पूर्ति निरीक्षक मयंक चतुर्वेदी ने आरक्षण का हवाला देते हुए चुनाव स्थगित कर दिया था। डीएम द्वारा आरक्षण बदलवाने के बाद 17 मार्च को चुनाव आने की घोषणा करके चुनाव स्थगित कर दिया था, जिस पर आक्रोशित ग्रामीणों ने एसडीएम कुंडा का घेराव किया था। एसडीएम ने मामले को बिगड़ते देख उन्होनें फिर से चुनाव कराने का आश्वासन देते हुए बीडीओ बिहार को चार मार्च को चुनाव कराने का निर्देश दिया। गुरुवार को चार थानों हथिगवां, बाघराय, महेशगंज व जेठवारा एसओ भारी भरकम फोर्स के साथ गांव पहुंचकर चुनाव प्रक्रिया चालू कराई। चुनाव अधिकारी के रूप में पहुंचे नायब तहसीलदार बृजमोहन शुक्ला, पूर्ति निरीक्षक मयंक चतुर्वेदी, अनिल कुमार व सचिव प्रभुनाथ, ओम प्रकाश, राजकुमार मिश्रा, लक्ष्मी नारायण तिवारी की देखरेख में चुनाव प्रक्रिया चालू की गई। इसमें गांव की सना सिद्दीकी पत्नी मोहम्मद सैफ, साहिन सिद्दीकी पत्नी मोहम्मद अफसार व उजमा पुत्री मासूम अहमद ने नामांकन किया। इस दौरान उजमा ने कहा कि जब बैठक में 17 तारीख को चुनाव कराने की बात कही गई थी तो आज अचानक चुनाव क्यों कराया जा रहा है, जिस पर वहां पर मौजूद नायब तहसीलदार बृजमोहन शुक्ला ने न्यायालय का हवाला देते हुए कहा कि एक महीने के अंदर न्यायालय ने चुनाव कराने की बात कही गई है, जिसके तहत चुनाव कराया जा रहा है। इसके बाद सना सिद्दीकी व शाहीन बानो के बीच खुली बैठक में चुनाव कराया गया, जिसमें शाहीन को 50 लोगों का समर्थन मिला। जबकि सना को 397 लोगों का समर्थन मिला। इस पर ग्रामीणों ने सना के कोटेदार के रूप में चुना। तब जाकर लोगों ने राहत की सांस ली।
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बवाल की आशंका पर रामदास पट्टी में पुलिस फोर्स तैनात
-गांव के खेत में मिला एक रजिस्टर, चार अभी भी गायब
संवाद सूत्र, बाघराय: बिहार ब्लाक के रामदास पट्टी गांव में बुधवार को कोटे के चयन के लिए बैठक बुलाई गई थी। बैठक में 11 समूह के लोगों ने हिस्सा लिया था। ग्रामीणों के बीच इस बात को लेकर आक्रोशित थे कि खुली बैठक में चुनाव होना चाहिए, समूह की महिलाओं के द्वारा नहीं। इसी बात को लेकर ग्रामीणों ने खूब हंगामा किया था। बाघराय, कुंडा, महेशगंज, हथिगवां की पुलिस ने मोर्चा संभाला था, लेकिन ग्रामीणों की भीड़ इतनी अधिक थी कि आक्रोशित होकर लोग प्रशासन के विरोध में नारे लगा रहे थे। इसी बीच महिलाओं महिलाओं में जमकर मारपीट शुरू हो गई। देखते देखते ही किसी ने रजिस्टर बैठक स्थल से ही गायब कर दिया। रजिस्टर गायब होने पर प्रशासनिक अधिकारियों के होश उड़ गए और उसकी खोजबीन शुरू कर दी गई। देर शाम सीओ सदर तनु उपाध्याय ने रामदास पट्टी गांव जाकर मामले की छानबीन करने लगी कि तभी किसी ग्रामीण ने बताया कि खेत रजिस्टर में पड़े हैं। सात रजिस्टर खेत में मिलने से पुलिस प्रशासन ने राहत की सांस ली। देर रात सीओ सदर ने थाना बाघराय आकर वहां मौजूद दोनों पक्षों के लोगों से बयान लिए। गुरुवार को एक रजिस्टर खेत में मिला। कुल आठ रजिस्टर अब तक मिल चुके हैं। अभी चार रजिस्टर मिलने बाकी हैं। उधर गांव में दोनों पक्षों में तनाव को देखते हुए इंस्पेक्टर बाघराय अखिलेश कुमार ने पुलिस बल तैनात कर दिया है। पुलिस दोनों पक्षों में हुई मारपीट के मामले में जांच कर रही है।
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अज्ञात पर रिपोर्ट दर्ज
संसू, बाघराय: कोटे के चयन के लिए रामदास पट्टी गांव में बैठक बुलाई गई थी। बैठक में नायब तहसीलदार बृजमोहन शुक्ला एवं एडीओ पंचायत धीरेंद्र तिवारी, ग्राम पंचायत अधिकारी राकेश कुमार के सामने ग्रामीणों ने भारी हंगामा एवं शोर-शराबा मचाना शुरू कर दिया। अभिलेख भी गायब कर देने पर बैठक स्थगित हो गई। ग्राम पंचायत अधिकारी राकेश कुमार ने सरकारी कार्यों में बांधा पहुंचाने व समूह के अभिलेख गायब करने के मामले में पुलिस को करीब 50 अज्ञात के विरुद्ध थाने में तहरीर दी है। इधर बाघराय पुलिस ने धारा 380, 186 के तहत अज्ञात ग्रामीणों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।