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जम्मू कश्मीर वाले नस्ल के बकरे से आत्मनिर्भर बनेगा प्रतापगढ़

बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए व्यापक स्तर पर प्रतापगढ़ में काम शुरू होने जा रहा है। इसमें जम्मू कश्मीर राजस्थान श्रीनगर हरियाणा पानीपत सहित जगहों पर होने वाले बकरे व बकरी का पालन यहां होगा। स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं जमुनापारी सिरोही व बरबरी नस्ल के बकरे व बकरी का पालन करेंगी। पहले फेज में 200 से अधिक स्वयं सहायता समूहों को इसकी जिम्मेदारी दी जाएगी। इससे जहां समूह की महिलाएं आजीविका से जुड़ेंगी वहीं दूसरी ओर कारोबार से होने वाली आय से वह गरीबी को मात देंगी। इससे गांव की गरीब महिलाओं को आजीविका से जोड़ा जा सकेगा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 10:05 PM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 10:05 PM (IST)
जम्मू कश्मीर वाले नस्ल के बकरे से आत्मनिर्भर बनेगा प्रतापगढ़
जम्मू कश्मीर वाले नस्ल के बकरे से आत्मनिर्भर बनेगा प्रतापगढ़

प्रवीन कुमार यादव, प्रतापगढ़ : बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए व्यापक स्तर पर प्रतापगढ़ में काम शुरू होने जा रहा है। इसमें जम्मू कश्मीर, राजस्थान, श्रीनगर, हरियाणा, पानीपत सहित जगहों पर होने वाले बकरे व बकरी का पालन यहां होगा। स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं जमुनापारी, सिरोही व बरबरी नस्ल के बकरे व बकरी का पालन करेंगी। पहले फेज में 200 से अधिक स्वयं सहायता समूहों को इसकी जिम्मेदारी दी जाएगी। इससे जहां समूह की महिलाएं आजीविका से जुड़ेंगी, वहीं दूसरी ओर कारोबार से होने वाली आय से वह गरीबी को मात देंगी। इससे गांव की गरीब महिलाओं को आजीविका से जोड़ा जा सकेगा।

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राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर समूह की महिलाएं विकास की इबारत लिख रही हैं। अभी तक जहां महिलाएं बेबी ट्राई साइकिल, आंवले का उत्पाद तैयार कर रहीं थीं, वहीं अब महिलाएं जम्मू कश्मीर, श्रीनगर, हरियाणा सहित अन्य जगहों पर होने वाले बकरे को पालकर बड़े पैमाने पर कारोबार शुरू करेंगी। इसके लिए ब्लाकवार समूहों को चिन्हित किया जा चुका है। पहले फेज में मानधाता के 42, बाबा बेलखरनाथ धाम के 40, बिहार के 20, बाबागंज के 25, कुंडा के 28, गौरा के 26 व शिवगढ़ के 22 स्वयं सहायता समूह की महिलाएं इस पर काम करने जा रही हैं। इसकी कार्ययोजना तैयार हो रही है। सीडीओ से अनुमोदन के बाद इस पर काम शुरू हो जाएगा।

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साल भर में 60 किलो होगा वजन

जम्मू कश्मीर व श्रीनगर समेत जगहों से मंगाए जाने के बाद बकरे की डाइट कृषि विज्ञान केंद्र कालाकांकर द्वारा तय की जाएगी। सह बकरा महज साल भर में 50 से 60 किलो वजन होगा। खास बात यह है कि कम समय में अधिक वजन होने से इसकी बिक्री होने पर महिलाओं को अच्छी रकम भी मिल सकेगी। बाजारों में प्रत्येक बकरा 10 से 15 हजार रुपये तक बिक सकेगा। इसकी डिमांड भी अधिक रहेगी।

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मनरेगा से बनेगा बकरी शेड

जिन समूहों की महिलाओं को बकरा व बकरी पालन करने की जिम्मेदारी दी जाने वाली है, उनको इसके लिए शेड बनवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मनरेगा से बकरी शेड बनाया जाएगा। अगर महिलाएं मजदूरी भी करना चाहेंगी तो मनरेगा से उनको मजदूरी भी मिलेगी। बकरी शेड बनने से महिलाओं को काफी सहूलियत मिलेगी। इससे उनका 25 से 40 हजार रुपये शेड बनाने होने वाले खर्च से बचा जा सकेगा।

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फोटो : 20 पीआरटी 02

समूह की महिलाएं बकरा व बकरी पालन का कारोबार शुरू करने जा रही हैं। महिलाओं का पशु विभाग पालन करने के तरीके बताएगा। इस कारोबार से महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी।

- अख्तर मसूद, जिला मिशन प्रबंधक (एनआरएलएम)


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