टला बवाल, सात घंटे बाद शव कब्जे में ले सकी पुलिस
प्रतापगढ़ : जिले के नवाबगंज थाना क्षेत्र की सीमा पर सलवन थाना क्षेत्र के चरपुरवा गांव में शनिवार
प्रतापगढ़ : जिले के नवाबगंज थाना क्षेत्र की सीमा पर सलवन थाना क्षेत्र के चरपुरवा गांव में शनिवार की रात पुलिस की पिटाई से बागवान की हुई मौत से ग्रामीणों का आक्रोश फूट पड़ा था। ग्रामीणों के गुस्से को देखकर सलवन की पुलिस भाग गई थी। सूचना पर पहुंची बेल्हा पुलिस की सक्रियता से बवाल टला। सात घंटे की मशक्कत के बाद 12 लाख रुपये आर्थिक सहायता देने का आश्वासन देकर ग्रामीणों को शांत कराया गया और शव पुलिस कब्जे में ले सकी।
रायबरेली जिले के सलवन कोतवाली क्षेत्र के चरपुरवा गांव निवासी सुरेश सोनकर (50) पुत्र महादेव सोनकर ने आम व बैर की बाग रखवाली के लिए ले रखा था। घर से महज पांच सौ मीटर दूर स्थित बाग में वह शनिवार शाम था। शाम करीब सात बजे सलवन कोतवाल रामाशीष उपाध्याय, एसआइ राजकुमार व सिपाहियों के साथ सुरेश के पास पहुंचे और शराब बनाकर बेचने को लेकर उससे पूछताछ करने लगे। सुरेश ने शराब बनाने और बेचने से इन्कार कर दिया। इसी बात पर सलवन पुलिस ने उसकी जमकर पिटाई की। जान बचाने के लिए वह भागने लगा। कुछ दूर पर स्थित नवाबगंज थाना क्षेत्र के करकरिया गांव में अंजनी मौर्य के खेत के पास वह गिर पड़ा। वहीं उसकी सांसे थम गई। सलवन पुलिस ने देखा कि सुरेश मर गया तो वह भाग निकली।
घटना की जानकारी क्षेत्र में आग की तरह फैल गई। परिजनों समेत सैकड़ों ग्रामीण घटनास्थल पर पहुंचे और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। सूचना मिलने पर एसपी, एएसपी, सीओ को सूचना देने के बाद नवाबगंज एसओ इंद्रेश कुमार घटनास्थल पर पहुंचे। थोड़ी देर बाद कुंडा, मानिकपुर, लालगंज, संग्रामगढ़ एसओ फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों का आक्रोश कम नहीं हो रहा था। रात 10 बजे सीओ कुंडा राधेश्याम, एएसपी पश्चिमी शिवाजी शुक्ला भी पहुंच गए। ग्रामीण सलवन पुलिस पर मुकदमा दर्ज करने के साथ ही गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे। रात एक बजे रायबरेली के एसपी सुनील कुमार ¨सह, एडीएम राजेश प्रजापति, ऊंचाहार एसडीएम प्रदीप वर्मा भी फोर्स के साथ पहुंचे।
एडीएम ने कृषक बीमा से 2.30 लाख रुपये, मुख्यमंत्री सहायता कोष से पांच लाख रुपये और सलवन पुलिस से पांच लाख रुपये दिलाने का आश्वासन दिया। सलवन पुलिस से दो लाख रुपये तत्काल सुरेश के परिजनों को दिलाया गया। तीन लाख रुपये रविवार को दोपहर तक देने का आदेश सलवन पुलिस को दिया। इसके बाद किसी तरह परिजनों समेत ग्रामीणों का आक्रोश शांत हुआ। फलस्वरूप सात घंटे बाद रायबरेली पुलिस शव को कब्जे में लेकर चली गई।
बला टालने को शव सौंपा रायबरेली पुलिस को : घटनास्थल चरपुरवा गांव रायबरेली जिले के सलवन थाना क्षेत्र में है और जहां उसका शव पड़ था, वह करकरिया गांव प्रतापगढ़ जिले के नवाबगंज थाना क्षेत्र में है। सलवन पुलिस की पिटाई से सुरेश की मौत से यहां की पुलिस भी पशोपेश में थी। अगर नवाबगंज पुलिस शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजती तो उसे सलवन पुलिस पर मुकदमा दर्ज करना पड़ता। यही वजह है कि परिजनों समेत ग्रामीणों को शांत कराने में बेल्हा पुलिस ने पूरी मदद की। नवाबगंज, कुंडा, संग्रामगढ़, मानिकपुर, लालगंज एसओ, सीओ कुंडा के साथ पहुंचे एएसपी पश्चिमी भी ग्रामीणों को समझाने में लगे रहे। जब परिजन समेत ग्रामीण शव सलवन पुलिस को उठाने देने के लिए राजी हुए, तब बेल्हा और रायबरेली पुलिस सहज हुई।
पत्नी ने लगाया पुलिस पर पिटाई का आरोप : सुरेश की पत्नी आशा रोते हुए यह आरोप लगा रही थी कि उसके पति को पुलिस ने पीट-पीटकर मार डाला। हमारा क्या कसूर था, जब मेरे पति ने कह दिया कि साहब हम लोग न शराब बनाते हैं और न ही बेचते है तो पुलिस क्यों हत्यारिन बन गई। पुलिस ने उसके पति को दौड़ा-दौड़ाकरपीटा। जिससे उनकी मौत हो गई है। पति के सिवाय मेरा कोई नहीं है। ऐसे में अब परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी कौन उठाएगा। यही बात कहकर आशा बार-बार अचेत हो जा रही थी।
मानिकपुर घाट पर हुआ अंतिम संस्कार : सुरेश का शव ले जाने के बाद रविवार को उसकी पत्नी आशा ने सलवन कोतवाली में तहरीर देकर कहा कि उसके पति की मौत कैसे हुई है, इसका पता लगाने के लिए पुलिस पोस्टमार्टम कराए। इसी आधार पर पुलिस ने पोस्टमार्टम कराया। पोस्टमार्टम में मौत की वजह स्पष्ट नहीं होने पर बिसरा प्रिजर्व कर लिया गया। पोस्टमार्टम के बाद शव मानिकपुर गंगाघाट ले जाया गया, वहां रविवार शाम अंतिम संस्कार कर दिया गया।
दूसरे नंबर पर था सुरेश : मृतक सुरेश तीन भाइयों में दूसरे नंबर पर था। बता दें कि सुरेश मूल रूप से लालगंज कोतवाली क्षेत्र के मातादीन का पुरवा (जेवई) गांव का रहने वाला था। लगभग तीन दशक पूर्व सलवन कोतवाली क्षेत्र के चरपुरवा आया और वहीं पर मकान बनवाकर पत्नी के साथ रहने लगा था। सुरेश के कोई औलाद नहीं थी। आठ वर्ष पूर्व ऊंचाहार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से एक अनाथ बच्ची को सुरेश ने गोद ले लिया था। उसका नाम सुरेश ने बड़े प्यार से सपना रखा था। सपना कक्षा दो की छात्रा है।