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मेडिकल कॉलेज बनाने की कवायद तेज

जागरण संवाददाता : प्रतापगढ़ : जिले को मिली राजकीय मेडिकल कॉलेज की सौगात को हकीकत में ब

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 Jun 2018 11:04 PM (IST)Updated: Thu, 28 Jun 2018 11:04 PM (IST)
मेडिकल कॉलेज बनाने की कवायद तेज
मेडिकल कॉलेज बनाने की कवायद तेज

जागरण संवाददाता : प्रतापगढ़ : जिले को मिली राजकीय मेडिकल कॉलेज की सौगात को हकीकत में बदलने की कवायद तेज हो गई है। मेडिकल कॉलेज के तहत जिला अस्पताल को 500 बेड, ट्रामा सेंटर, सीटी स्कैन, एमआरआइ, डायलिसिस, डिजिटल ओटी समेत सुविधाओं से लैश करने के लिए शासन की टीमें प्रतापगढ़ का दौरा कर रही हैं। इससे कार्य में तेजी नजर आ रही है।

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केंद्र सरकार द्वारा यूपी के आठ जिलों में राजकीय मेडिकल कॉलेज बनाए जाने की मंजूरी मिली तो इसमें प्रतापगढ़ भी शामिल रहा। पहले तो इसे मुख्यालय पर बनाने की बात हुई, लेकिन जगह की कमी के कारण दो भागों में बांटा गया। मेडिकल कॉलेज का पहला हिस्सा शहर से करीब चार किलो मीटर दूर पूरे केशवराय में बनाने के लिए विशेष सचिव स्वास्थ्य 15 दिन पहले निर्देश दे गए हैं। वह इसके लिए स्वयं आए थे और पूरे दिन जायजा लिया था। इसमें कक्षाएं चलेंगीं। मेडिकल कॉलेज के तहत बनने वाले अस्पताल का मानक 500 बेड का है। इसका निर्माण जिला पुरुष अस्पताल और महिला अस्पताल को मिलाकर किया जाएगा। 200 सौ बेड कम पड़ने के चलते नए भवन का निर्माण भी होगा।

इसको बनाए जाने के लिए दोनों अस्पतालों के सात पुराने भवन तोड़े जाने की तैयारी है। इसमें बर्न वार्ड, आयुष विभाग, होम्योपैथिक भवन व गेट के बगल स्थित सुलभ शौचालय भवन शामिल है। सबसे बड़ी समस्या रास्ते और पार्किंग को लेकर सामने आ रही है। जिला अस्पताल और महिला अस्पताल की चहारदीवारी से मिलकर बाहर की तरफ करीब ढाई दर्जन पक्की दुकानें बनी हुई हैं। दोनों अस्पतालों के लिए केवल एक-एक रास्ता बचा है। यह रास्ता मेडिकल कॉलेज की शक्ल लेने पर पर्याप्त नहीं होगा। ऐसे में रास्ता और पार्किंग की व्यवस्था के लिए इन दुकानों को यहां से हटाया जाना तय माना जा रहा है। हालांकि अभी इस बारे में स्थानीय अधिकारी कुछ नहीं बता रहे है। इन दिनों इन दुकानों का सर्वे हो रहा है जिससे दुकानदारों में खलबली मची हुई है। कई लोगों ने तो दो मंजिला निर्माण भी कर लिया है। इस बारे में सीएमओ डा. एके श्रीवास्तव का कहना है कि शासन के लोग जरूरत के अनुसार सर्वे कर रहे हैं। रिपोर्ट भेज रहे हैं। निर्माण का पूरा जिम्मा शासन का है। स्थानीय स्तर पर विभाग से कोई खास वास्ता नहीं है।


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