निजी अस्पताल में प्रसूता और नवजात की मौत, हंगामा
जिला अस्पताल के पास एक निजी अस्पताल में शुक्रवार देर शाम एक महिला व उसके नवजात की मौत हो गई।
जासं, प्रतापगढ़ : जिला अस्पताल के पास एक निजी अस्पताल में शुक्रवार देर शाम एक महिला व उसके नवजात की मौत हो गई। इससे परिजन बदहवास हो गए।
मानधाता के राजेश की 29 साल की पत्नी राधिका गर्भवती थी। गुरुवार देर रात रात उसे प्रसव पीड़ा शुरू होने पर जिला महिला अस्पताल लाया गया। अधिक ब्लीडिग की बात कहकर उसे प्रयागराज के लिए रेफर कर दिया गया। वह बाहर लाई गई। अस्पताल में मौजूद कुछ बिचौलिए परिजनों को भ्रमित करके पास के एक निजी अस्पताल में ले गए। यहां सुरक्षित प्रसव कराने की बात कहकर उसे रखा गया। शुक्रवार देर शाम महिला को प्रसव हुआ, पर बच्चे ने कुछ ही देर में दम तोड़ दिया। कुछ देर में महिला की भी सांसें थम गई। घबराए नर्सिगहोम संचालक ने उसे प्रयागराज ले जाने को कहा। परिजन आननफनन दोनों को जिला अस्पताल ले गए तो वहां दोनों की मौत की पुष्टि हुई। राजेश ने सीएमओ से मामले की शिकायत की है। इधर सीएमओ डा. एके श्रीवास्तव का कहना है कि छानबीन कराई जाएगी। टीकाकरण को बनाए गए 18 कोल्ड चेन स्टोर
जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़ : जिले में चलने वाले टीकाकरण अभियान की तैयारी स्वास्थ्य विभाग ने तेज कर दी है। इसके लिए डेढ़ दर्जन कोल्ड चेन स्टोर बन गए हैं। वैक्सीन के सही तरीके से रखरखाव को लेकर शुक्रवार को कोल्ड चेन हैंडलर की कार्यशाला हुई।
सीएमओ कार्यालय के शास्त्री सभागार में हुई कार्यशाला में जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. सीपी शर्मा ने कहा कि कोल्ड चेन हैंडलर को वैक्सीन भंडारण, रखरखाव व प्रबंधन के बारे में जानना चाहिए। वैक्सीन भंडारण के लिए 18 कोल्ड चेन स्टोर बनाए गए हैं। इसके तहत सप्लाई चेन को यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि वैक्सीन की पर्याप्त मात्रा, सही समय, सही स्थान, सही तापमान पर ही सही लाभार्थी तक पहुंचे। कार्यशाला में डीपीएम राजशेखर, जिला सहायक प्रतिरक्षण अधिकारी महेश कुमार सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम भारत सरकार का सर्वोच्च प्राथमिकता का है। वैक्सीन कोल्ड चेन मैनेजर देवानंद श्रीवास्तव ने कहा कि इस कार्यक्रम के द्वारा प्रतिवर्ष करोड़ों नवजात शिशुओं को प्रारंभिक खुराक और बच्चों को बूस्टर खुराक देने का लक्ष्य रखा गया है। इस मौके पर यूनीसेफ के वकील अहमद व अनुराग ने भी जानकारी दी।
नौ रोगों की नो इंट्री
टीकाकरण के माध्यम से नौ बीमारियां बच्चों में आने से रोकी जाती हैं। इनमें टीबी, हेपेटाइटिस बी, पोलियो, डिप्थीरिया, टिटनेस, रोटा वायरस (डायरिया), निमोनिया, जापानी इन्सेफ्लाइटिस व खसरा रूबेला हैं। टीके इनसे नौनिहालों को बचाते हैं।