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गम से नहीं उबर पा रहा जिरगापुर गांव

कुंडा तहसील मुख्यालय से पांच किलोमीटर की दूरी पर जिरगापुर गांव है। इसी गांव के 14 लोगों की बीते गुरुवार की रात सड़क हादसे में मौत हो गई थी। इस घटना के बाद गांव में पूरी तरह मातम है। अभी भी यह गांव गम और आंसुओं से उबर नहीं पा रहा है। मृतकों के स्वजनों को ढांढस पहुंचाने कोई ना कोई हर दिन पहुंच रहा है। इस तरह से जख्मों के हरे होने और उन पर मरहम लगाने का दौर जारी है। घटना के चौथे दिन सोमवार की सुबह मृतकों के घरों पर ग्रामीणों की भीड़ थी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 11:04 PM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 11:04 PM (IST)
गम से नहीं उबर पा रहा जिरगापुर गांव
गम से नहीं उबर पा रहा जिरगापुर गांव

संसू, कुंडा : कुंडा तहसील मुख्यालय से पांच किलोमीटर की दूरी पर जिरगापुर गांव है। इसी गांव के 14 लोगों की बीते गुरुवार की रात सड़क हादसे में मौत हो गई थी। इस घटना के बाद गांव में पूरी तरह मातम है। अभी भी यह गांव गम और आंसुओं से उबर नहीं पा रहा है। मृतकों के स्वजनों को ढांढस पहुंचाने कोई ना कोई हर दिन पहुंच रहा है। इस तरह से जख्मों के हरे होने और उन पर मरहम लगाने का दौर जारी है। घटना के चौथे दिन सोमवार की सुबह मृतकों के घरों पर ग्रामीणों की भीड़ थी। गांव की रुदन करती महिलाओं और विषाद के घेरे में बच्चों का जीवन, दुखों के पहाड़ की कहानी कहने के लिए काफी है। गांव के एक साथ 14 लोगों की मौत ने स्तब्ध कर रखा है। पिता-पुत्र और सगे भाई अब नहीं रहे। उनकी यादें शेष हैं, उनके हसंते चेहरे की बरबस यादें लोगों की आंखें नम कर देती हैं। कुंडा कोतवाली क्षेत्र के जिरगापुर चौंसा गांव निवासी संतराम यादव के बेटे सुनील यादव की बारात बीते गुरुवार को नवाबगंज थाना क्षेत्र के शेख मोहम्मदपुर गांव गई हुई थी। वहां भी वही हाल है। दुल्हन पक्ष के लोग भी अवाक और स्तब्ध हैं। अपने यहां से गए मेहमानों के साथ हुए यह हादसा उनके लिए जिदगी भर का घाव बन गया, अब तो यह समय के साथ ही शायद भर पाए। इससे बोलेरो में सवार 14 बरातियों की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई थी। घटना के चार दिन बीत जाने के बाद भी जिरगापुर गांव गम में डूबा हुआ है।

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------------------------- दो बेटों व चार नातियों की मौत का गम नहीं भूल पा रही संपत

संसू, कुंडा : कुंडा कोतवाली क्षेत्र के जिरगापुर गांव निवासी श्रीनाथ यादव के चार बेटे थे। इसमें सबसे बड़ा नान्हभैया, दूसरे नंबर का राम मनोहर, तीसरा दिनेश व चौथा चंद्रेश। दो वर्ष पूर्व पिता श्रीनाथ की मौत हो गई थी। जबकि मां संपत अभी जीवित है। डेढ़ वर्ष पहले संपत को लकवा मार दिया। इससे वह चलने फिरने में असमर्थ हो गई। बीते गुरुवार की रात हुए भीषण सड़क हादसे में संपत के दो बेटे नान्हभैया, दिनेश, चार नाती पवन, अमन, गौरव व अंश की मौत हो गई थी। एक साथ छह लोगों की मौत ने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया। बेटे व नातियों की मौत को याद कर संपत का हाल बुरा है। वह रो-रोकर यह कहती रही कि यह दिन देखने से भगवान ने उसे क्यों नहीं उठा लिया । उधर, पिता राम समुझ व भाई सचिन की मौत से शालिनी (12) व शिवानी (8) का रो-रोकर बुरा हाल था । पड़ोस के लोग दोनों बच्चियों को दिलाता दिलाते रहेते हैं. मगर पिता व भाई के मौत का गम दोनों को रोने पर विवश कर देता है। कमोबेश यही हाल सभी पीड़ित परिवारों का है।

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.आखिर क्यों नही पसीज रहा शासन के नुमाइंदो का दिल

संसू, गोतनी : जिरगापुर के लोगों के लिए 19 नवंबर का दिन कहर बन गया। इसी दिन गांव से बारात लेकर गई एक बोलेरो वापस लौटते समय खड़े ट्रक में जा घुसी। इससे बोलेरो में सवार 14 लोगों की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। मौत होने के बाद आज तक मृतकों के परिजनों के आंसू नहीं सूखे हैं। पीड़ित स्वजनों को सरकार से किसी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं मिल पाई है। जबकि घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रूपए के आर्थिक मदद का एलान किया था, लेकिन अभी तक आर्थिक सहायता के नाम पर किसी अधिकारी, कर्मचारी या राजनेता ने मौके पर पहुंचकर मृतकों के परिजनों से पूछताछ भी नहीं की। घटना के चार दिन बीत जाने के बाद भी पीड़ित परिवारों को सरकार की तरफ से कोई सहायता नहीं मिल सकी। इस बाबत एसडीएम जलराजन चौधरी का कहना है कि जिन लोगों की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी, उन सभी का प्रस्ताव तैयार कर आर्थिक सहायता दिलाने के लिए सरकार को भेजा गया है। जल्द ही परिजनों के खाते में सहायता राशि आ जाएगी।


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