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गांधी जी के विचारों से प्रेरित होकर आजादी के आंदोलन में कूदे थे मुनीश्वर

जिले के शिक्षा जगत के मालवीय कहे जाने वाले पं.मुनीश्वर दत्त उपाध्याय महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर आजादी के आंदोलन में कूदे थे। वह प्रदेश के राजस्व मंत्री विधान परिषद सदस्य और संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य भी रहे। उनका जन्म तीन अगस्त वर्ष 1898 को लालगंज तहसील के लक्ष्मणपुर गांव में हुआ था। पंडित जी लाल बहादुर शास्त्री इंदिरा गांधी मदन मोहन मालवीय गोविद बल्लभ पंत पुरुषोत्तम दास टंडन के करीबियों में से एक थे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2020 09:51 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 09:51 PM (IST)
गांधी जी के विचारों से प्रेरित होकर आजादी के आंदोलन में कूदे थे मुनीश्वर
गांधी जी के विचारों से प्रेरित होकर आजादी के आंदोलन में कूदे थे मुनीश्वर

रमेश त्रिपाठी, प्रतापगढ़ : जिले के शिक्षा जगत के मालवीय कहे जाने वाले पं.मुनीश्वर दत्त उपाध्याय महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर आजादी के आंदोलन में कूदे थे। वह प्रदेश के राजस्व मंत्री, विधान परिषद सदस्य और संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य भी रहे। उनका जन्म तीन अगस्त वर्ष 1898 को लालगंज तहसील के लक्ष्मणपुर गांव में हुआ था। पंडित जी लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, मदन मोहन मालवीय, गोविद बल्लभ पंत, पुरुषोत्तम दास टंडन के करीबियों में से एक थे।

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जिले के महामना पं. मुनीश्वर दत्त का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता गजाधर प्रसाद उपाध्याय किसान थे। सोमवंशी हायर सेकेंड्री स्कूल प्रतापगढ़ सिटी से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने इलाहाबाद में परास्नातक और कानून की शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद इलाहाबाद के महापौर कार्यालय में उन्होंने नौकरी की। इसी दौरान आजादी के लड़ाई के लिए महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर वह स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू के किसान आंदोलन का प्रतापगढ़ जिले में नेतृत्व करते हुए मुनीश्वर दत्त ने बाबा रामचंदर, झिगुरी सिंह और पूर्व विधायक रामराम शुक्ल के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उपाध्याय को वर्ष 1955 में प्रदेश कांग्रेस कमेटी का पहला अध्यक्ष बनाया गया। वर्ष 1966 में स्थानीय निकायों से उन्होंने राज्य विधान परिषद का चुनाव लड़ा और सफलता हासिल की। उनके मुकाबले मोहिसना किदवई चुनाव हार गईं थीं। यूपी में चंद्रभानु गुप्त के मंत्रिमंडल में उन्हें राजस्व मंत्री बनाया गया। जिले में उन्होंने दो दर्जन से अधिक शिक्षण संस्थानों की स्थापना की थी, जहां आज भी लोग शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जिले के लोग आज भी उन्हें नहीं भूले हैं। उनकी जन्म स्थली लक्ष्मणपुर में बदहाल पड़ी है। घर में किसी के न रहने से घास फूस उग आए हैं।

..जब पंडित नेहरू ने कहा, अच्छा किया आपने

सीतापुर में पं. नेहरू की मीटिग थी। वहां के प्रमुख व्यवसायी ने मीटिंग बुलाई थी। उस मीटिग में पंडित मुनीश्वरदत्त उपाध्याय नहीं गए। जब जवाहर लाल वहां पहुंचे और मुनीश्वर दत्त को नहीं देखा तो उन्होंने वापस आते समय उपाध्याय जी से पूछा कि आप मीटिग में क्यों नहीं आए। इस पर उन्होंने कहा कि उन्हें आने के लिए आयोजक ने व्यक्तिगत रूप से नहीं बुलाया, इस कारण नहीं आए। इस पर पं. नेहरू जी ने कहा आप ने ठीक किया। यह संस्मरण वरिष्ठ कांग्रेस नेता पं. श्याम किशोर शुक्ल ने बताते हुए कहा कि एक बार सत्याग्रही सेंट्रल जेल नैनी में बंद थे। उनसे मिलने के लिए राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन व मुनीश्वर दत्त पहुंचे। जेल अधीक्षक ने वहां एक ही कुर्सी रखवाई थी। इस पर उपाध्याय जी बिगड़ गए और दो कुर्सी रखवाने के बाद ही वहां गए।


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