एमएलसी के फर्जी हस्ताक्षर से प्रस्ताव बनाकर जारी कर दी निधि
विधान परिषद सदस्य यशवंत सिंह के फर्जी हस्ताक्षर से प्रस्ताव बनाकर उनकी निधि का 19 लाख रुपये जारी कर दिया गया।
संवाद सूत्र, प्रतापगढ़ : विधान परिषद सदस्य यशवंत सिंह के फर्जी हस्ताक्षर से प्रस्ताव बनाकर उनकी निधि का 19 लाख रुपये जारी कर दिया गया। इस मामले में धन उगाही का आडियो मिलने पर सीडीओ ने दोषी लिपिक को निलंबित कर दिया और जांच डीडीओ को सौंप दी। पूरे प्रकरण की जानकारी होने पर विकास भवन में हड़कंप मच गया।
विधान परिषद सदस्य यशवंत सिंह ने वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान प्रतापगढ़ जिले के कुछ प्रस्तावों के लिए अपनी निधि से 20 लाख रुपये जारी किया था, लेकिन उन प्रस्तावों के बजाय उनके फर्जी हस्ताक्षर से दूसरे चार प्रस्ताव बनाकर 19 लाख रुपये जारी कर दिया गया। इसमें राम स्वरूप यादव शिक्षा निकेतन इंटर कालेज मेढ़ौली विजयीमऊ, ग्राम विकास कन्या इंटर कालेज मैनहा कली व सुखराजी ग्रा्म्य विकास प्राथमिक विद्यालय खमपुर दुबे पट्टी को कक्ष निर्माण के लिए पांच-पांच लाख और डा.बृजेश पांडेय शिक्षण संस्थान सोनपुरा ढकवा को कक्ष निर्माण के लिए चार लाख रुपये जारी किया गया है।
एमएलसी यशवंत सिंह को जब यह पता चला कि जिन प्रस्तावों के लिए उन्होंने विधायक निधि से पैसा दिया था, उन प्रस्तावों पर तो काम ही नहीं हुआ। वह पैसा तो उन स्कूलों को जारी कर दिया गया, जिनका प्रस्ताव ही उन्होंने नहीं दिया था। एमएलसी ने राजा भैया के पीआरओ ज्ञानेंद्र सिंह से मामले की जानकारी करने की बात कही। इस बीच ज्ञानेंद्र सिंह को पता चला कि एमएलसी यशवंत सिंह के फर्जी हस्ताक्षर से प्रस्ताव बनाकर दूसरे चार स्कूलों को 19 लाख रुपये जारी किया गया है।
इसी दौरान ज्ञानेंद्र सिंह को एक आडियो मिल गया, जिसमें डीआरडीए के कनिष्ठ लेखा लिपिक शिव प्रसाद विधायक निधि का पैसा जारी करने के लिए धन उगाही कर रहे हैं। पीआरओ ने एमएलसी यशवंत सिंह का शिकायती पत्र और वह आडियो सीडीओ को भेज दिया। इस पर सीडीओ ने फौरन कनिष्ठ लेखा लिपिक शिव प्रसाद को निलंबित करके पूरे मामले की जांच डीडीओ को सौंप दी। सीडीओ ने एक माह में जांच रिपोर्ट मांगा है।
वैसे अगर पूरे मामले की गहराई से जांच की गई तो विधायक निधि में घपले की कई और परत खुल सकती है। यशवंत सिंह वह एमएलसी हैं, जिनके इस्तीफा देने से रिक्त हुई सीट से उपचुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एमएलसी निर्वाचित हुए थे।