पांच माह बाद शुभ घड़ी आई, बजने लगी शहनाई
जिस शुभ घड़ी और मुहूर्त का महीनों से लोगों को इंतजार था वह आ गया। इस पर लोगों का उत्साह दिखने लगा। बुधवार को एकादशी के पूजन के साथ ही मांगलिक कार्यक्रम शुरू हो गए। किसी की बरात निकली तो किसी ने नए घर में कदम रखे। किसी ने बेटे का मुंडन कराया तो किसी ने बिटिया की तिलक चढ़ाई।
जासं, प्रतापगढ़ : जिस शुभ घड़ी और मुहूर्त का महीनों से लोगों को इंतजार था, वह आ गया। इस पर लोगों का उत्साह दिखने लगा। बुधवार को एकादशी के पूजन के साथ ही मांगलिक कार्यक्रम शुरू हो गए। किसी की बरात निकली तो किसी ने नए घर में कदम रखे। किसी ने बेटे का मुंडन कराया तो किसी ने बिटिया की तिलक चढ़ाई।
कोरोना काल में सब कुछ ठहर सा गया था। लोग चाहकर भी कोई आयोजन नहीं कर पा रहे थे। एक तो कोरोना का डर और दूसरे शुभ लगन नहीं मिल रही थी। चार माह तक भगवान की योग निद्रा व उसके बाद अधिमास लग जाने से शहनाई नहीं बज पा रही थी। ऐसे कार्यक्रमों के लिए सबको देवोत्थान एकादशी की प्रतीक्षा थी। बुधवार को वह समय आ गया। इसके साथ ही लोगों का दबा हुआ उत्साह भी दिखने लगा। पहले ही दिन जिले के सभी मैरेज हाल में आयोजन की धूम मच गई। शहर क्षेत्र में 20 से अधिक मैरेज हाल हैं और सभी जगह आयोजन हुए। पूरे जिले में करीब 95 मैरेज हाल हैं। इनमें कुछ बड़े व कुछ छोटे हैं। सबमें कुछ न कुछ आयोजन देखा गया। बैंड बाजा वाले अपनी टीम को कम करके पहुंचे, क्योंकि शासन का डर है। मंडप सजाने वाले भी काम में जुटे रहे।
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आर्डर का बदला स्वरूप
मंडप कारीगर शैलेंद्र कसौधन, वीरेंद्र वर्मा, संजीव गुप्ता का कहना है कि अब कुछ काम मिलने लगा, लेकिन बड़े पैमाने पर नहीं मिला। जो आर्डर मिले भी थे, उनमें भी कटौती की जा रही है। आयोजक कह रहे हैं कि साधारण ढंग से सजावट कर दो, बहुत भीड़ नहीं आने वाली।
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लगवा रहे चेतावनी बैनर
कार्यक्रमों के आयोजक अपने घर व मैरेज हाल के बाहर चेतावनी के बैनर लगवा रहे हैं। इसमें लिखा होता है कि कोरोना है, उचित दूरी बनाए रखें। बैंड, डीजे लाने पर कार्रवाई होगी तो आयोजक जिम्मेदार माने जाएंगे। मैरेज हाल संचालक की जवाबदेही नहीं होगी।
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आना है कि नहीं भाई
शादी-ब्याह में 100 लोगों को ही जाना है। इस शर्त को लेकर कन्या व वर पक्ष के लोग तनाव में हैं। उनको प्रशासन से आयोजन की अनुमति तो नहीं लेनी है, पर अपने थाने में आयोजन की सूचना जरूर देना है। यही उनके लिए मुसीबत से कम नहीं है। ऐसे में कई लोग अब आयोजक से पूछ रहे हैं कि हमें शादी में आना है कि 100 लोग पूरे हो गए हैं।