एक ही दिन 500 राशन कार्ड पर वितरण, फंसे 50 कोटेदार
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन व प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत एक ही दिन में एक कोटेदार द्वारा 500 कार्डधारकों को राशन वितरण करने के मामले में जांच बैठ गई है। खाद्य आयुक्त ने इसे संज्ञान लिया है। इस मामले की जांच कराने का निर्णय शासन ने लिया है। फिलहाल जांच की आंच में कई कोटेदारों का झुलसना तय है।
संवाद सूत्र, प्रतापगढ़ : राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन व प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत एक ही दिन में एक कोटेदार द्वारा 500 कार्डधारकों को राशन वितरण करने के मामले में जांच बैठ गई है। खाद्य आयुक्त ने इसे संज्ञान लिया है। इस मामले की जांच कराने का निर्णय शासन ने लिया है। फिलहाल जांच की आंच में कई कोटेदारों का झुलसना तय है।
जिले में एक हजार 300 से अधिक कोटेदार हैं। राशन का वितरण करने के लिए सप्ताह भर से लेकर पखवारे भर तक काम समय निर्धारित किया गया है। दिसंबर माह से अब तक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन व प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत एक ही दिन में 300 से लेकर 500 कार्डधारकों में राशन का वितरण किया गया। एक ही दिन में हुए अधिकांश वितरण पर शासन ने आशंका जताई है। खाद्य विभाग के अनुसार कुंडा के बरई, रैयापुर, तेजपुर, हथिगवां, बेंती, मंगरौरा के रामापुर, कालाकांकर के कंदरु, सांगीपुर के रेहुआ लालगंज, लक्ष्मणपुर के जेठवारा, अजगरा, मानधाता के जगदीशपुर, बाबागंज के ऐंधा, गौरा के सुरवा मिश्रपुर, सदर के पूरे खुशई, करनपुर, लालगंज के भदारी कला, संडवा चंद्रिका के अंतू देहात, शिवगढ़ के लच्छीपुर, कालाकांकर के भद्रिव, मंगरौरा के अतरसंड सहित करीब 50 कोटेदार जांच के दायरे में हैं। आरोप है कि इसमें से कई ऐसे कोटेदार हैं जो एक ही दिन 500 कार्डधारकों में वितरण किया है। जबकि कई ऐसे भी हैं जो 300 से 400 कार्डधारकों में वितरण किया है। एक ही दिन में अधिकांश वितरण करने पर जांच शुरू हो गई है। क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी एसके पांडेय ने बताया कि एक ही दिन में अधिकांश कार्डधारकों में राशन वितरण करने के मामले में जांच होगी। शासन से इस संबंध में पत्र आया है।
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कोटेदार लगाने लगे चक्कर
कई कोटेदार ऐसे हैं जो कार्रवाई से बचने के लिए डीएसओ कार्यालय व नेताओं के यहां चक्कर लगा रहे हैं। हालांकि वह पूर्ति निरीक्षकों से भी बचने के लिए पैरवी कर रहे हैं। बड़ा सवाल यह है कि आखिर एक ही दिन में अधिकांश वितरण किसके कहने पर कोटेदारों ने किया। पहले इस तरह का वितरण नहीं किया गया। इस तरह के कई सवाल उठ रहे हैं। फिलहाल पूर्ति निरीक्षकों की भूमिका संदिग्ध होने से इन्कार नहीं किया जा सकता है।