महिला अस्पताल में भोजन की जगह बांटी डबलरोटी, हंगामा
जासं प्रतापगढ़ मरीजों को खाना देने के लिए संबद्ध ठेकेदार की मनमानी से जिला महिला अस्पताल मरीजों को खाना देने के लिए संबद्ध ठेकेदार की मनमानी से जिला महिला अस्पताल में महिलाएं आए दिन परेशान हो रही हैं।
जासं, प्रतापगढ़ : मरीजों को खाना देने के लिए संबद्ध ठेकेदार की मनमानी से जिला महिला अस्पताल में महिलाएं आए दिन परेशान हो रही हैं। उनको घर से खाना मंगाना पड़ रहा है। अस्पताल के आयुष्मान वार्ड में मरीजों को गुरुवार देर रात तक खाना नहीं दिया गया। भूख से बेहाल मरीजों ने हंगामा किया तो आनन-फानन में अस्पताल प्रशासन ने डबलरोटी बांटी। इसके बाद भी हंगामा चलता रहा।
आयुष्मान योजना में जिले के दो लाख परिवार चयनित हैं। योजना में यह है कि भर्ती होने वाले मरीज को पांच लाख की इलाज की सुविधा के साथ ही दोनों वक्त भोजन व नाश्ता, दूध, फल, अंडा आदि निश्शुल्क मिले। इस योजना के अलावा सामान्य मरीजों को भी भोजन व फल का नियम है। आमतौर पर ऐसा होता नहीं।
जिला महिला अस्पताल में जिस ठेकेदार के पास अभी तक ठेका था, उसे पिछले सप्ताह बदल दिया गया। इसके बाद जौनपुर की एक एजेंसी को पूरे जिले के सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को नाश्ता और खाना देने की जिम्मेदारी विभाग द्वारा दी गई। मरीजों की आम शिकायत है कि एजेंसी के कर्मी कभी खाना देते हैं, कभी नहीं देते।
ऐसे में गुरुवार रात महिला अस्पताल में आयुष्मान वार्ड में योजना के तहत भर्ती 13 महिलाओं को देर शाम तक खाना नहीं परोसा गया। वह इंतजार करती रहीं। रात के नौ बज गए तो उनका धैर्य जवाब दे गया। उन्होंने होटल व रिश्तेदारों के यहां से खाने का वैकल्पिक इंतजाम किया। कहीं कुछ मिला तो कहीं नहीं भी मिला। इसके बाद रात करीब 10 बजे तीमारदारों ने विरोध करना शुरू कर दिया। हो हल्ला करने लगे तो अस्पताल प्रशासन के होश उड़ गए। भनक लगने पर सीएमएस ने हेड नर्स के जरिए मक्खन व ब्रेड बंटवाया। कुछ लोगों ने इस अव्यवस्था का वीडियो बनाकर फैला दिया तो भी विभाग के अफसर नहीं जगे। सुबह ठेकेदार को बुलाकर मरीजों को नाश्ता दिया गया। 11 बजे सब्जी रोटी दी।
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किया जवाब तलब
इस मामले में सीएमएस डा. रीना प्रसाद का कहना है कि कुछ मरीजों को भोजन नहीं मिला था। इसके लिए ठेकेदार से जवाब तलब किया गया है। उधर सीएमओ डा. एके श्रीवास्तव ने मामले की जांच करके रिपोर्ट देने को सीएमएस को कहा है।
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कई जगह रसोई ही नहीं
जिले में सरकारी अस्पतालों में खाना देने के कागजी दावे को यूं समझा जा सकता है कि अधिकांश जगह रसोई ही नहीं बनी है। सीएचसी अथवा पीएचसी में अभी तक किचन तक की व्यवस्था नहीं हो सकी है।