कौशांबी में डेंगू के प्रकोप की बेल्हा तक दहशत
प्रतापगढ़ पड़ोसी जिले कौशांबी में डेंगू के सैकड़ों मामले सामने आने की दहशत बेल्हा तक
प्रतापगढ़ : पड़ोसी जिले कौशांबी में डेंगू के सैकड़ों मामले सामने आने की दहशत बेल्हा तक पहुंच गई है। वही स्वास्थ्य विभाग ने अब तक इस संक्रमण को लेकर कोई खास कदम नहीं उठाए हैं। केवल वार्ड को कुछ अपडेट किया है।
डेंगू को लेकर प्रतापगढ़ का किस्सा अजब है। एक ओर तो खुद स्वास्थ्य विभाग यह कहता है कि जिले में अब तक डेंगू के 14 मामले सामने आ चुके हैं। दूसरी ओर वह यह भी राग अलापता है कि कोई मामला प्रतापगढ़ का नहीं है। यानि जो लोग प्रभावित हुए हैं वह कहीं और रहते हुए बीमार हुए हैं। दोनों ही बातें विभाग ही कहता है। यही रिपोर्ट उसने शासन को भी भेजी है, जिससे इस जिले के हालात को लेकर शासन गंभीर नहीं हो रहा है। विभाग ने उसको बताया है कि अब तक जिनको भी डेंगू का संक्रमण हुआ है वह प्रतापगढ़ में नहीं रहते। रोजी-रोटी के सिलसिले में दूसरे प्रदेश में रहने के दौरान बीमार होकर आए थे। वह तो गत दिनों लालगंज क्षेत्र के डा. नवीन शुक्ल की भी डेंगू से मौत हो जाने को प्रतापगढ़ का मामला नहीं मान रहा। वह कहता है कि उनको प्रयागराज रहते हुए संक्रमण हुआ।
यही नहीं पट्टी के सराय महेश गांव के किसान जमुना प्रसाद सिंह की मौत को परिजन डेंगू से होना बता रहे हैं, पर विभाग उनके दावे को नकार रहा है। जबकि वह अपने घर-गांव में ही रहते थे। पट्टी के ही भावापुर के अभिषेक दुबे समेत कई लोगों को बीमार होना भी विभाग के गले नहीं उतर रहा है। यह बात अलग है कि कौशांबी का ही डर सही, लेकिन अस्पताल का डेंगू वार्ड कुछ अपडेट जरूर किया गया है। कौशांबी के साथ ही प्रयागराज में भी डेंगू के मामले सामने आने पर प्रमुख सचिव स्वास्थ्य देवेश चतुर्वेदी ने डीएम व सीएमओ को सतर्कता बरतने, डेंगू से बचने को लेकर व्यापक जन जागरण कराने, प्रचार अभियान चलाने को कहा है। पता नहीं इस तरह का निर्देश प्रतापगढ़ के अफसरों को कब मिलेगा। सीएमओ डा. एके श्रीवास्तव अपने पुराने बयान पर कायम हैं। वह कहते हैं कि डेंगू के जो मामले मिले हैं, वह सारे माइग्रेटेड हैं, यहां के नहीं हैं। फिर भी सतर्कता बरती जा रही है।