बर्न यूनिट में नहीं हो सकी प्लास्टिक सर्जन की तैनाती
प्रतापगढ़ जिला अस्पताल में स्थापित बर्न यूनिट का कोई खास इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। प्लास्टिक
प्रतापगढ़ : जिला अस्पताल में स्थापित बर्न यूनिट का कोई खास इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। प्लास्टिक सर्जन के न होने से यहां पर भर्ती होने वाले पीड़ितों को मरहम-पट्टी के बाद रेफर कर दिया जाता है। वह दूसरे शहरों में राहत की तलाश करते हैं।
लंबे इंतजार के बाद करीब पांच साल पहले बर्न यूनिट की स्थापना जिला अस्पताल में बड़ी उम्मीदों के साथ की गई। वातानुकूलित कमरे बनाए गए, लेकिन मानव संसाधन का इंतजाम अब तक न हो सका। यहां पर हर महीने करीब आधा दर्जन जले हुए केस आते हैं। उनको भर्ती किया जाता है, लेकिन दो-चार दिन रखने के बाद जवाब दे दिया जाता है। विवशता में लोग प्रयागराज व लखनऊ के साथ अति गंभीर दशा में होने पर दिल्ली व मेदांता ले जाते हैं। यहां भर्ती होने वाले तेजाब, आग, करंट से जले होते हैं।
ऐसे लोगों का इलाज करने के लिए जिला अस्पताल के जनरल सर्जनों की ड्यूटी लगाई जाती है। वह अपनी ओर से पीड़ित को राहत देने का भरसक प्रयास करते हैं, लेकिन बात नहीं बन पाती। वह सामान्य चिकित्सा तो कर देते हैं, लेकिन उसके बाद रेफर करना ही होता है। प्लास्टिक सर्जन न होने से उसकी समुचित चिकित्सा नहीं हो पाती। माना जा रहा है कि जिले में बन रहे मेडिकल कालेज के इंतजार में इस यूनिट को सुविधाओं से लैस नहीं किया जा रहा है। दिसंबर में चार केस इस यूनिट में लाए गए हैं। वार्ड में लगे एसी अक्सर साथ नहीं देते।
साफ-सफाई का भी समुचित इंतजाम नहीं है। तीमारदार भी बार-बार अंदर व बाहर आते जाते रहते हैं। उन पर अंकुश नहीं है। इससे जलने जैसे गंभीर मामलों में संक्रमण का खतरा बना रहता है। सुविधाओं की कमी का ही परिणाम है कि यहां 50 फीसद से कम जले केस ही लिए जाते हैं। बाकी को इमरजेंसी से ही रेफर कर दिया जाता है। इस बारे में सीएमओ डा. एके श्रीवास्तव का कहना है कि प्लास्टिक सर्जन की मांग की गई है। फिर से पत्र लिखा जाएगा।