जिला अस्पताल में आसान नहीं कोरोना की जांच
कोरोना के बढ़ते संकट के बीच इसकी जांच कराना आसान नहीं रह गया है। बुखार खांसी सांस लेने में दिक्कत पर डॉक्टर के लिखने के बाद भी लोग पर्चा लेकर अस्पताल में जांच के लिए घंटों भटकते रहते हैं। कर्मचारी सीधे मुंह बात तक नहीं करते। जांच हो भी जाए तो हफ्ते भर तक रिपोर्ट नहीं आती। इससे यह पता नहीं चलता कि वह व्यक्ति संक्रमित है या नहीं। पूरे परिवार में संक्रमण का खतरा मंडराता रहता है।
प्रतापगढ़ : कोरोना के बढ़ते संकट के बीच इसकी जांच कराना आसान नहीं रह गया है। बुखार, खांसी, सांस लेने में दिक्कत पर डॉक्टर के लिखने के बाद भी लोग पर्चा लेकर अस्पताल में जांच के लिए घंटों भटकते रहते हैं। कर्मचारी सीधे मुंह बात तक नहीं करते। जांच हो भी जाए तो हफ्ते भर तक रिपोर्ट नहीं आती। इससे यह पता नहीं चलता कि वह व्यक्ति संक्रमित है या नहीं। पूरे परिवार में संक्रमण का खतरा मंडराता रहता है।
जिला अस्पताल में इन दिनों मनमानी का आलम है। इसकी वजह यह है कि सीएमएस डॉ. पीपी पांडेय खुद कोरोना संक्रमित होने के चलते भर्ती हो गए हैं। इसका फायदा उठाते हुए कई कर्मचारी जमकर मनमानी कर रहे हैं। कोरोना हेल्प डेस्क पर तैनात महिला कर्मचारी निजी कार्य में व्यस्त रहती हैं। वहां जाने पर मरीजों को सही जानकारी देने वाला कोई नहीं मिलता। जांच कितने बजे, कहां होगी, रिपोर्ट कब मिलेगी इस तरह के सवालों का जवाब देने को वहां पर कोई नहीं मिलता। मरीज पर्चा लेकर कभी इधर तो कभी उधर भटकता रहता है। जांच भी हो गई तो पता नहीं चलता कि रिपोर्ट कब आएगी। ऐसे दर्जनों लोग डीएम और सीएमओ से शिकायत कर चुके हैं कि वह अपनी जांच रिपोर्ट के लिए आठ से 10 दिन तक भटकते रहे। पता नहीं चला कि वह निगेटिव हैं या पॉजिटिव। इस बारे में एडी प्रयागराज डॉ. सुधाकर पांडेय का कहना है कि मरीजों को हो रही परेशानी गंभीर बात है। इस पर सीएमओ को अंकुश लगाने को कहा जाएगा।