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दावे कागजी, कोरोना काल में भी मरीजों की दुर्दशा

जिले में सरकारी अस्पतालों का जाल बिछा है। शहर से लेकर अंचल तक इमारतें खड़ी हैं। कहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तो कहीं प्राथमिक। यही नहीं ट्रामा सेंटर भी हैं। इतने के बाद भी मरीजों का दर्द दूर कर पाने में महकमा बहुत सफल नहीं है। इसकी वजह साफ कि डॉक्टरों पैरा मेडिकल की मौजूदगी देखने वाली व्यवस्था कागजों पर है। डाक्टर आते हैं कि नहीं आते कर्मचारी काम रहा है कि नहीं कोई देखने वाला नहीं। ऐसे में मनमानी तो होगी ही। जिला अस्पताल तक में मरीजों की सुनवाई नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Sep 2020 10:44 PM (IST)Updated: Mon, 07 Sep 2020 10:44 PM (IST)
दावे कागजी, कोरोना काल में भी मरीजों की दुर्दशा
दावे कागजी, कोरोना काल में भी मरीजों की दुर्दशा

प्रतापगढ़ : जिले में सरकारी अस्पतालों का जाल बिछा है। शहर से लेकर अंचल तक इमारतें खड़ी हैं। कहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तो कहीं प्राथमिक। यही नहीं ट्रामा सेंटर भी हैं। इतने के बाद भी मरीजों का दर्द दूर कर पाने में महकमा बहुत सफल नहीं है। इसकी वजह साफ कि डॉक्टरों, पैरा मेडिकल की मौजूदगी देखने वाली व्यवस्था कागजों पर है। डाक्टर आते हैं कि नहीं आते, कर्मचारी काम रहा है कि नहीं, कोई देखने वाला नहीं। ऐसे में मनमानी तो होगी ही। जिला अस्पताल तक में मरीजों की सुनवाई नहीं है। कोरोना की जांच कराने को तो पूरा दिन चाहिए। उस पर भी जांच हो ही जाए, यह तय नहीं होता। मरीज इधर से उधर भटकता रहता है। ऐसा ही माहौल महिला अस्पताल में भी है, जहां बिचौलिए टहलते रहते हैं। वह मरीजों को बरगला कर झोलाछाप की क्लीनिक पर ले जाकर मौत के मुंह में झोंक देते हैं। जिले के सरकारी अस्पतालों की पड़ताल के इस अभियान में पहली किश्त में आपको बताते हैं सीएचसी गौरा की हकीकत।

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रिपोर्ट थमाई तो मुड़कर नहीं देखते मरीज की ओर

जिले के गौरा ब्लाक के दर्जनों गांव के लोगों के लिए चिकित्सा की उम्मीद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गौरा है। यहां पर मनमानी अब और बढ़ गई है। कोरोना काल में जहां शासन मरीजों को और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने में लगा है, वहीं इस अस्पताल में एंटीजन टेस्ट में कोरोना पाजिटिव रिपोर्ट देने के बाद मरीज का हाल नहीं लिया जाता। मरीज किस हाल में है, उसकी हालत खराब हुई कि सुधरी कोई मतलब नहीं रहता। जबकि डीएम हर दिन यह कह रहे हैं कि होम आइसोलट मरीजों से रोज बात की जाए। इस अस्पताल से जुड़े कई मरीजों ने बताया कि पाजिटिव रिपोर्ट आने पर उनको होम क्वारंटाइन तो करा दिया गया, लेकिन समुचित देखभाल को लेकर अस्पताल से सजगता नहीं बरती जा रही है। क्वारंटाइन किए गए लोगों के घर कोई कर्मी नहीं झांकता। उनके घर पर थर्मल जांच और सैनिटाइजेशन नहीं कराया जा रहा है। अस्पताल कर्मियों की लापरवाही को लेकर के मरीजों के घर के लोग परेशान हैं। डाक्टर व कर्मी आसानी से फोन तक रिसीव नहीं करते। एंटीजन टेस्ट में रामापुर, मंसा राम का पूरा, शिवगढ़ा, मेडुआडीह सहित कई गांवो में पाजिटिव केस मिले हैं, जो अपने हाल पर जी रहे हैं। हालांकि अधीक्षक डॉ. ओपी सिंह का दावा इसके इतर है। वह कहते हैं कि होम क्वारंटाइन लोगों के घर टीम जाती है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि या तो मरीज झूठ बोल रहे हैं या डाक्टर।


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