बुद्ध ने दिया था पर्यावरण संरक्षण का संदेश
तथागत भगवान बुद्ध ने पर्यावरण के संरक्षण को संदेश दिया है। वह कहते थे कि मनुष्य को अपने किसी भी कृत्य से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। यह बात बौद्ध चितक व विचारक बौद्धाचार्य मुकेश आनंद ने कही। श्रावस्ती से प्रयागराज के लिए धम्म यात्रा पर निकले मुकेश ने मंगलवार को सुगतानंद बौद्ध विहार चिलबिला में उपासकों की गोष्ठी को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि बुद्ध का जन्म ज्ञान व परिनिर्वाण तीनों महत्वपूर्ण घटनाएं प्रकृति की गोद में हुई इसीलिए ही उनकी धम्म देशनाओं में इसका प्रभाव भी स्पष्ट दिखता है।
जासं, प्रतापगढ़ : तथागत भगवान बुद्ध ने पर्यावरण के संरक्षण को संदेश दिया है। वह कहते थे कि मनुष्य को अपने किसी भी कृत्य से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। यह बात बौद्ध चितक व विचारक बौद्धाचार्य मुकेश आनंद ने कही। श्रावस्ती से प्रयागराज के लिए धम्म यात्रा पर निकले मुकेश ने मंगलवार को सुगतानंद बौद्ध विहार चिलबिला में उपासकों की गोष्ठी को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि बुद्ध का जन्म, ज्ञान व परिनिर्वाण तीनों महत्वपूर्ण घटनाएं प्रकृति की गोद में हुई, इसीलिए ही उनकी धम्म देशनाओं में इसका प्रभाव भी स्पष्ट दिखता है। धम्म चर्चा के दौरान वर्तमान प्रकृति संरक्षण पर कहा कि 26सौ साल पूर्व पर्यावरण के प्रति बुद्ध का लगाव देखने से यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि वह मनुष्य के कृत्य को जानने में सक्षम थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रमुख साहित्यकार डॉ. दयाराम मौर्य रत्न ने कहा कि आसन्न तीसरे विर्श्वयुद्ध से भगवान बुद्ध के अहिसा और शांतिवादी विचार ही बचा सकते हैं। करुेणा और प्रेम सभी समस्याओं का हल है। संचालन डायट प्रवक्ता राकेश कनौजिया ने किया। इस अवसर पर उपासक दिनेश कुमार कनौजिया, उमेश कुमार, हरदेव सरोज, विनोद सरोज, शिव कुमार पटेल, सुरेंद्र विमल आदि भी मौजूद रहे।