भइया ई चुनाव बार-बार नहीं आवत, सोच समझि के दिहा वोट..
पंचायत चुनाव को लेकर जहां प्रत्याशी मतदाताओं को रिझाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं वहीं दूसरी ओर चाय नाश्ते की दुकानों पर भी घंटों देर तक चुनावी चर्चा हो रही है।
संवाद सूत्र, कुंडा : पंचायत चुनाव को लेकर जहां प्रत्याशी मतदाताओं को रिझाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर चाय नाश्ते की दुकानों पर भी घंटों देर तक चुनावी चर्चा हो रही है।
मंगलवार को दिन था। दिन के दो बजे थे। कुंडा के सुजौली गांव में एक चाय की दुकान काफी लोग बैठक चाय पी रहे थे। इसी दौरान वहां बैठे गांव के राजेश यादव बोल पड़े.. भैया समझ में नाही आवत अहै कि के का वोट दीन जाय, सबै से दुआ सलाम अहै। वहीं बैठे राजू गुप्ता बोल पड़े.. इहै सोचत अही कि केका वोट दी केका न दी, सब आपन खासय अहां। अचानक वहां मौजूद गांव के बब्बू खान ने कहा कि काहे को इतना टेंशन लेते हो यार, जो विकास करे उसको दे वोट देने का। यह सुनकर दुकान पर बैठे लक्ष्मण सरोज बोल पड़े कि.. भैया हमारे गांव में कई बिरादरी के प्रत्याशी खड़े हैं, लेकिन हम सब जात पात छोड़ कै जे विकास करी ओही का वोट देबै। इतने में वहां मौजूद गुड्डू पाल बोल पड़े.. हम तो सोचत अही काऊनो का वोटवै न देई.. काहे की हमारे गांव निरहू का पुरवा में काऊनो प्रधान ध्यान नहीं देतेन, जब वोट का समय आई तो बडी-बड़ी बात करिहें। उनकी बात ख्चात्म नहीं हुई थी कि वहां बैठक मोहम्मद रफीक यह कहते नजर आए कि.. नहीं यार गुड्डू भाई सोच समझकर प्रधान चुनो और कहो कि गांव का विकास हटकर हो, ताकि आगे भी आपको मौका दिया जाए। इतने में वहां बैठक मुंशी का जवाब रहा.. पहिले हमार सुनत जा, भइया ई चुनाव बार-बार नही आवत है अबे समय अहै सोच-समझि कै अइसन आदमी चुना जउन गांव का विकास करावै। पहिले वाली गलती अबकी बार न दोहरावै का अहै । इसी दौरान वहां से गुजर रहे गांव के किसान बब्बू पटेल को सब लोग बुला लिए और चुनाव के बारे में चर्चा करने लगे। उनका कहना था कि.. अरे भैया का हम प्रधान से दाल रोटी मांगत अही की सब्जी, भाजी मांगत अही.. प्रधान विकास खातिर होत है विकास करै। लेकिन हिया तो आदमी पर्सनल लाभ खातिर परेशान अहै।