केंद्र प्रभारी के बाद सीधे भंडार नायक की कमान
डीएपी का गबन करने वाले आरोपित भंडार नायक पहले कृषक सेवा केंद्र का प्रभारी था। बाद में विभाग ने उसे दो गोदाम का चार्ज दिया। इसके बाद तीसरे गोदाम का भी चार्ज उसी को दे दिया गया। भंडार नायक रहने के दौरान उसने कई बार गड़बड़ी की लेकिन विभाग ने बदनामी की डर से उसे फटकार कर कार्रवाई की चेतावनी दी। इसके बाद वह सहम गया लेकिन हरकतें बंद नहीं हुई।
संवाद सूत्र, प्रतापगढ़ : डीएपी का गबन करने वाले आरोपित भंडार नायक पहले कृषक सेवा केंद्र का प्रभारी था। बाद में विभाग ने उसे दो गोदाम का चार्ज दिया। इसके बाद तीसरे गोदाम का भी चार्ज उसी को दे दिया गया। भंडार नायक रहने के दौरान उसने कई बार गड़बड़ी की, लेकिन विभाग ने बदनामी की डर से उसे फटकार कर कार्रवाई की चेतावनी दी। इसके बाद वह सहम गया, लेकिन हरकतें बंद नहीं हुई। आखिरकार विभाग को जिस बात का डर था, वहीं हुआ। रानीगंज तहसील क्षेत्र के सिगाही गांव के संतोष कुमार की तैनाती पहले श्रावस्ती जिले में थी। नौ फरवरी 2010 को उसका ट्रांसफर प्रतापगढ़ जिले में हो गया। 11 फरवरी को तत्कालीन जिला प्रबंधक ने कृषक सेवा केंद्र सारडीह का चार्ज उसे दे दिया। इसके बाद उसे 21 फरवरी को सदर के खजोहरी गांव में स्थित गोदाम का चार्ज उसे दिया गया। उसके बाद 19 जून को बड़नपुर गोदाम का भी चार्ज उसे दे दिया गया। विभाग में तैनात रहे भंडार नायक दिनेश सरोज का श्रम प्रवर्तन अधिकारी के पद पर चयन हो गया। उसने नौकरी छोड़ दी। ऐसे में विभाग ने संतोष को मीराभवन स्थित गोदाम का भी चार्ज उसे दे दिया। आरोपित गोदाम का चार्ज लेने के लिए अफसरों पर भी दबाव बनाया था। गोदाम का चार्ज लेने के लिए उसने हर प्रयास किया। हालांकि वह इसमें कामयाब हो गया। उसने गोदाम के अलावा सुर्खी साइडिग में डीएम व यूरिया उतरने के दौरान भी लाखों रुपये की गड़बड़ी की। जब इसकी जानकारी अधिकारियों को हुई तो उन्होंने उसके विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए अधिकारियों को पत्र लिखने की बात कही तो वह सहम गया। बाद में किसी तरह से मामला मैनेज हुआ। पीसीएफ के जिला प्रबंधक धनंजय तिवारी ने बताया कि पुलिस द्वारा संतोष की गिरफ्तारी किए जाने की सूचना मिली है।