श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है भागवत गीता
गीता जयंती नगर में धूमधाम से मनाई गई। रामानुज आश्रम शिवजी पुरम में आयोजित कार्यक्रम में भगवान का पंचाभिषेक किया गया। भगवान कृष्ण के विराट स्वरूप का चित्र देख सबने नमन किया। इस मौके पर धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडेय अनिरुद्ध रामानुज दास ने कहा कि आज से 515
जासं, प्रतापगढ़ : गीता जयंती नगर में धूमधाम से मनाई गई। रामानुज आश्रम शिवजी पुरम में आयोजित कार्यक्रम में भगवान का पंचाभिषेक किया गया। भगवान कृष्ण के विराट स्वरूप का चित्र देख सबने नमन किया। इस मौके पर धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडेय अनिरुद्ध रामानुज दास ने कहा कि आज से 5158 वर्ष पूर्व रविवार के दिन प्रात: 920 पर कपिध्वज रथ पर विराजमान नर के अवतार अर्जुन जब कुरुक्षेत्र के मैदान में मोह ग्रस्त थे, तब नारायण के अवतार भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता का उपदेश दिया। मोह में पड़े अर्जुन को अपना विराट स्वरूप दिखाया। परमात्मा और संसार का वर्णन श्रीमद्भगवद्गीता में विविध प्रकार से हुआ है। वास्तव में भागवत गीता कोई साधारण ग्रंथ नहीं, भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं कहा है कि यह मेरा ही स्वरूप है। मैं ही परम तत्व हूं, मेरे अतिरिक्त इस संसार में कोई दूसरा नहीं है। गीता सनातन धर्म की प्राण है। गीता गंगा गायत्री और गाय हमारी भारतीय संस्कृति की पहचान है। धर्माचार्य द्वारा आचार्य गणों एवं ब्राह्मणों को गीता तथा दक्षिणा प्रदान कर सम्मानित किया गया। मंत्रों से पूरा वातावरण आनंदित व ऊर्जावान हो गया। इस अवसर पर आचार्य कमलेश तिवारी, आचार्य आलोक ज्योतिषी, नारायणी रामानुज दासी, पूर्व सभासद संतोष दुबे, मंत्री के प्रतिनिधि दिनेश शर्मा, परशुराम सेना प्रमुख प्रदीप शुक्ला, देवेंद्र ओझा, डॉ. सीएन पांडेय, आचार्य बालकृष्ण मिश्र, आचार्य राममूर्ति पांडेय, आचार्य रजवंत शुक्ल, आचार्य ज्ञानेंद्र, आचार्य संजय तिवारी आचार्य बालमुकुंद दुबे आचार्य मनीष कुमार मिश्रा आचार्य शिवमूर्ति शुक्ल, लोकगायक पं. रविशंकर मिश्र भी पहुंचे।