कोरोना संकट में शौचालय के 30 करोड़ रुपये हजम कर गए लाभार्थी
खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के लिए शासन ने स्वच्छ भारत मिशन योजना संचालित की। इस योजना के तहत चार लाख से अधिक शौचालय बनवाए गए। वहीं एलओबी (लेफ्ट आउट बेनीफीशियल) के तहत हजारों लाभार्थियों को शौचालय बनवाने के लिए पैसा उनके खाते में भेजा गया लेकिन आधे ने तो शौचालय बनवाना शुरू किया जबकि आधे लाभार्थी करोड़ों रुपये हजम कर गए। सख्ती के बाद भी जब लाभार्थी शौचालय बनवाना नहीं शुरू किए तो उनके खिलाफ मुकजमा दर्ज कराने की तैयारी शुरू कर दी गई है।
प्रवीन कुमार यादव, प्रतापगढ़ : खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के लिए शासन ने स्वच्छ भारत मिशन योजना संचालित की। इस योजना के तहत चार लाख से अधिक शौचालय बनवाए गए। वहीं एलओबी (लेफ्ट आउट बेनीफीशियल) के तहत हजारों लाभार्थियों को शौचालय बनवाने के लिए पैसा उनके खाते में भेजा गया, लेकिन आधे ने तो शौचालय बनवाना शुरू किया, जबकि आधे लाभार्थी करोड़ों रुपये हजम कर गए। सख्ती के बाद भी जब लाभार्थी शौचालय बनवाना नहीं शुरू किए तो उनके खिलाफ मुकजमा दर्ज कराने की तैयारी शुरू कर दी गई है।
बीते फरवरी माह में एलओबी के तहत सभी ब्लाकों में 50 हजार लाभार्थियों के खाते में 60 करोड़ रुपये भेजा गया था। इसमें से आधे लाभार्थियों ने शौचालय बनवाने के लिए खोदाई कराना शुरू कर दिया है। कई ने तो छत तक तैयार कर दिया है। जबकि वहीं करीब 25 हजार लाभार्थियों ने 30 करोड़ रुपये हजम करके बैठे हैं। सांगीपुर ब्लाक की ग्राम पंचायतों में चार हजार, बिहार में पांच हजार, सदर में साढ़े चार हजार, शिवगढ़ व बाबागंज में चार हजार, मंगरौरा में दो हजार 500, कुंडा में चार हजार 200, आसपुर देवसरा में दो हजार 400, कालाकांकर में तीन हजार 500, लक्ष्मणपुर में तीन हजार सहित अन्य ब्लाकों में करीब 25 हजार लाभार्थी ऐसे हैं जिन्होंने शौचालय का पैसा हजम किया है। डीपीआरओ की सख्ती के बाद हजारों लाभार्थियों ने शौचालय बनवाना शुरू कर दिया है।
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सचिव व लाभार्थियों पर होगी एफआइआर
शौचालय का पैसा मिलने के बाद भी निर्माण न कराने वाले लाभार्थियों पर एफआइआर होगी। इसके अलावा संबंधित गांव के सचिव पर भी इस तरह की कार्रवाई किए जाने का निर्णय डीपीआरओ ने लिया है। हालांकि डीपीआरओ ने सचिवों को नोटिस जारी करके सचेत किया है। उनको विभाग की ओर से काम शुरू करने का एक अवसर दिया गया है। इसके बाद कार्य शुरू न करने पर कार्रवाई होगी।
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घरेलू खर्च में किया पैसे का इस्तेमाल
स्वच्छ भारत मिशन की ओर से यह पैसा फरवरी माह में भेजा गया था। करीब माह भर तक लाभार्थियों ने काम शुरू नहीं कराया। इसी बीच मार्च माह शुरू हो गया। वहीं कोरोना के संक्रमण के चलते पूरी योजना ही फेल हो गई। लॉक डाउन होने से लाभार्थियों का कई माह तक कामकाज ठप रहा। आर्थिक स्थिति खराब होने से वह इस पैसे को घरेलू सामग्री खरीदने में खर्च कर दिया। इससे वह शौचालय नहीं बनवा सके। हालांकि अफसरों ने उनको राहत देने के लिए एक मौका दिया है। माह के अंत तक काम न शुरू होने पर कार्रवाई शुरू हो जाएगी।
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स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत शौचालय निर्माण कराने के लिए लाभार्थियों के खाते में पैसा भेजा गया था। लक्ष्य के सापेक्ष आधे लाभार्थियों ने काम शुरू करा दिया, जबकि अभी भी आधे लाभार्थियों ने काम शुरू नहीं कराया है। शौचालय का पैसा वह खर्च कर दिए हैं। अगर जल्द निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ तो उनके खिलाफ एफआइआर होगी।
-रवि शंकर द्विवेदी, डीपीआरओ