हॉकी खिलाड़ियों की प्रतिभा को निखारने में लगे अनवर
अपनी तरह प्रतिभाओं को निखारने के लिए पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अनवर खान हॉक
प्रतापगढ़ : अपनी तरह प्रतिभाओं को निखारने के लिए पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अनवर खान हॉकी खिलाड़ियों की मदद कर रहे हैं। उनकी यह सोच है कि जब वह इसी मिट्टी से निकलकर टीम इंडिया से अंतरराष्ट्रीय मैच खेल सकते हैं तो अवसर व संसाधन मिलने पर और खिलाड़ी भी उस मुकाम तक पहुंच सकते हैं।
शहर के बलीपुर मोहल्ले के निवासी छोटे खान ने कभी सपने में नहीं सोचा था कि उनका छोटा बेटा अनवर खान टीम इंडिया का हिस्सा बनेगा। किंतु, अनवर के जुनून ने वह कर दिखाया कि जिसकी कल्पना पिता समेत परिजनों ने नहीं की थी। अनवर ने वर्ष 1987 में कोच करमउल्ला के मागदर्शन में स्टेडियम और पुलिस लाइन मैदान में हाकी खेलना शुरू किया तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। पहली बार उन्होंने वर्ष 1989 में यूपी टीम से पटियाला में नेशनल चैंपियनशिप में प्रतिभाग किया था। उसी साल स्पोर्ट्स अथारिटी ऑफ इंडिया ने अनवर का चयन कर लिया और फिर यूपी कालेज वाराणसी से वे मैच खेलने लगे। पांच साल तक वह कोच प्रेमशंकर शुक्ल के मार्गदर्शन में यूपी कालेज से खेलते रहे।
वर्ष 1994 में एयर इंडिया एकेडमी दिल्ली में अनवर का चयन हो गया। साल 1997 में अनवर ने टीम इंडिया से इंग्लैंड में आयोजित जूनियर वर्ल्ड कप में प्रतिभाग किया और टीम इंडिया रनर रही। साल भर बाद अनवर टीम इंडिया से खेलने लगे। वर्ष 1999 में अनवर को ओएनजीसी में सिक्योरिटी अफसर की नौकरी मिल गई। वह दो साल तक टीम इंडिया से खेलते रहे। उन्होंने आखिरी बार वर्ष 2000 में टीम इंडिया से आस्ट्रेलिया में आयोजित चौथा नेशनल हॉकी प्रतियोगिता खेली थी। इसमें टीम इंडिया ने गोल्ड मेडल हासिल किया था।
तीन साल पहले अनवर खिलाड़ियों से मिलने स्टेडियम गए थे। वहां उन्हें हॉकी के गिने-चुने खिलाड़ी ही दिखे। वह सोचने लगे कि उनके जमाने में हॉकी खिलाड़ियों की लंबी फौज थी, अब तो यहां हॉकी के खेल पर संकट दिख रहा है। फिर उन्होंने अपने मित्र खुर्शीद अहमद और विजय यादव के साथ बैठकर तय किया कि वे लोग हॉकी के खिलाड़ियों की प्रतिभा निखारने के लिए उनकी हर संभव मदद करेंगे। तत्काल अनवर ने एक सोसाइटी बनाई और वह जरूरतमंद खिलाड़ियों को हॉकी, जूते, किट आदि मुफ्त में देने लगे। खिलाड़ियों को ट्रेनिग देने का जिम्मा खुर्शीद अहमद ने लिया। नगर क्षेत्र के व्यायाम शिक्षक सुबह और शाम दो-दो घंटे खिलाड़ियों की जीआइसी मैदान में कोचिग करते हैं। इस समय इनसे 75 खिलाड़ी ट्रेनिग ले रहे हैं। ओएनजीसी अगरतला में डिप्टी मैनेजर पद पर कार्यरत अनवर कहते हैं कि जब प्रतापगढ़ की मिट्टी में खेलकर वह अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बन सकते हैं तो अन्य खिलाड़ी भी यह मुकाम हासिल कर सकते हैं। इसके लिए वह इसी तरह खिलाड़ियों की मदद करते रहेंगे।