आधी दुनिया के लिए खुद बनीं आवाज
जासं प्रतापगढ़ नारी की समस्या को लेकर अगर नारी ही मुखरित हो तो बदलाव तय रहता है। समाज
जासं, प्रतापगढ़ : नारी की समस्या को लेकर अगर नारी ही मुखरित हो तो बदलाव तय रहता है। समाज में अब नारी को उसके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता, क्योंकि नारियां ही अपने समाज को आगे बढ़ाने में जुट गई हैं। आप भी जानिए इनके बारे में।
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दहेज उत्पीड़न से परेशान महिला हो, सरकारी योजनाओं से वंचित महिला हो, इनकी मदद के लिए रितिका मौर्य के कदम आगे बढ़ जाते हैं। बतौर अधिवक्ता काम हर रहीं रितिका महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए फीस की शर्त नहीं रखतीं। पूर्व सह जिला विद्यालय निरीक्षक और वरिष्ठ साहित्यकार डा. दयाराम मौर्य रत्न की बेटी रितिका उर्फ रितु कविताएं भी लिखती हैं। सामाजिक संगठनों से जुड़ी हैं। हर मंच पर वह नारी सशक्तीकरण के लिए ही आवाज उठाती हैं। वह कहती हैं कि समाज की सोच बदलने की जरूरत है। नारी शक्ति को पहले खुद नारी को ही पहचानना होगा।
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बेटियों को गर्भ में ही मारने की सोच वाले लोगों के लिए अर्चना सिंह बेबाकी से कविता लिखती हैं। बेटी की अहमियत को नया करती हैं। शहर के मीरा भवन क्षेत्र की अर्चना युवा कवयित्री हैं। इनकी कविताओं का विषय बेटी होता है। हर मंच पर वह बेटी बचाओ का संदेश देती हैं। उनकी पंक्ति की बानगी देखें.मैं उड़ना चाहती हूं तो मुझे परवाज दो पापा, चहकना चाहती हूं तुम मुझे आवाज दो पापा। बेटियां की सुरक्षा पर समाज को जागरूक करने के लिए उनको कई मंचों पर सम्मानित किया जा चुका है। उनका मानना है कि कल्पना चावला, पीबी सिधु जैसी बेटी चाहते हैं तो उसे सम्मान दें।