50 बच्चों ने पिता और पांच ने खोया मां का दुलार
रमेश त्रिपाठी प्रतापगढ़ कोरोना काल में जिले के 50 बच्चों ने पिता व पांच बच्चों ने मां का प्या
रमेश त्रिपाठी, प्रतापगढ़ : कोरोना काल में जिले के 50 बच्चों ने पिता व पांच बच्चों ने मां का प्यार खो दिया। एक बच्ची ऐसी है, जिसके माता-पिता दोनों ने साथ छोड़ दिया। जिन बच्चों के पिता नहीं हैं वह अपनी मां के साथ हैं और जिसने अपनी मां को खो दिया है वह अपने पिता के साथ रह रहे हैं। सरकार ने इन बच्चों की पढ़ाई लिखाई व देखरेख के लिए बाल सेवा योजना शुरू की है। इसके अंतर्गत प्रत्येक बच्चे को प्रतिमाह चार हजार रुपये दिए जाएंगे। इसकी शुरुआत गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कर दी। कोरोना संक्रमण के दूसरे दौर ने कहर ढा दिया था। इसमें कई मासूम बच्चे भी अनाथ हो गए। कुछ के पिता नहीं रहे तो कुछ की मां। इन बच्चों की पढ़ाई-लिखाई व देखरेख के लिए यूपी सरकार ने मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना की शुरुआत की है। प्रतापगढ़ जिला भी इससे अछूता नहीं रहा। जिला प्रोबेशन विभाग ने इस प्रकार के 56 बच्चों को चिन्हित किया है। इनमें से 32 बालक व 24 बालिकाएं हैं। कोरोना ने 50 बच्चों के सिर से पिता का साया छीन लिया है। पांच ऐसे बच्चे हैं, जिनकी माताएं कोरोना संक्रमण के दौरान काल के गाल में समा गईं। एक बच्ची ऐसी है, जिसके माता-पिता दोनों कालकवलित हो गए। वह अपनी दादी के साथ रह रही है। यूपी सरकार ने इन बच्चों की देखरेख के लिए हर माह चार हजार रुपये देने का निर्देश दिया है।
- खंड विकास अधिकारियों की ली गई मदद
कोरोना संक्रमण काल में ऐसे बच्चों को चिन्हित करने में जिला प्रोबेशन विभाग ने खंड विकास अधिकारियों की मदद ली। इनके माध्यम से मीटिंग करके ऐसे बच्चों को चिह्नित किया गया। इसमें खासी मशक्कत प्रोबेशन विभाग को करनी पड़ी। यदि किसी बच्चे के बारे में प्रोबेशन विभाग को मालूम हुआ तो वहां बाल कल्याण अधिकारी को भेजकर उनका फार्म भराया गया।
- बच्चों को चिन्हित करने में छूटा पसीना
संसू, प्रतापगढ़ : कोरोना संक्रमण काल में ऐसे बच्चों को चिह्नित करने में जिला प्रोबेशन विभाग के अधिकारियों के पसीने छूट गए। यदि किसी बच्चे के बारे में प्रोबेशन विभाग को मालूम हुआ तो वहां बाल कल्याण अधिकारी को भेजकर उनका फार्म भराया गया। इसका बड़ा ही कटु अनुभव रहा। बाल कल्याण अधिकारी अभय शुक्ला को दो ब्लाकों में खासी मशक्कत करनी पड़ी। ब्लाक के कर्मचारियों ने बिल्कुल सहयोग नहीं किया। इनमें गौरा ब्लाक व लक्ष्मणपुर ब्लाक रहे। गौरा ब्लाक के एक गांव में तीन बच्चों के पिता की मौत कोरोना से हो गई थी। यह परिवार अत्यंत गरीब था। जब बाल कल्याण अधिकारी को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने उनके घर का मोबाइल नंबर लेकर उनके परिवार के लोगों से बात की। इसके बाद वह स्वयं उन बच्चों के पास गए और उन्हें लेकर गौरा ब्लाक ले आए। उस समय बीडीओ मौजूद नहीं थे। उन्होंने उन्हें एक बाबू के पास भेजा तो बाबू ने उन्हें ग्राम प्रधान से लिखवाकर लाने को कहा। वह उन बच्चों को लेकर प्रधान के पास गए और अपनी डायरी में लिखवाकर ले आए। इस पर बाबू ने कहा कि आपने डायरी में क्यों लिखवाया, इसे सादे पन्ने में लिखवाना था। जब उन्होंने पुन: बीडीओ से बात कराई तब जाकर कहीं उन बच्चों का फार्म भरा जा सका। इसी प्रकार लक्ष्मणपुर ब्लाक के बाबू ने परेशान किया।
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फोटो- 22 पीआरटी- 12
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प्रदेश सरकार ने कोरोना काल में अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों की पढ़ाई लिखाई के लिए प्रतिमाह चार हजार रुपये देने की शुरुआत कर दी है। प्रोबेशन विभाग द्वारा 56 बच्चों को चिह्नित किया है। इनमें एक बच्ची ऐसी है, जिसके माता-पिता दोनों कोरोना संक्रमण काल में कालकवलित हुए हैं।
- रन बहादुर वर्मा, जिला प्रोबेशन अधिकारी